जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है – केदारनाथ अग्रवाल
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ हैतूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ हैजिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा हैजो रवि के रथ का घोड़ा हैवह जन मारे नहीं मरेगानहीं मरेगा . . . जो जीवन की आग जला कर आग बना हैफौलादी पंजे…