rabindranath tagore kavita in hindi

अनसुनी करके तेरी बात – Rabindranath tagore kavita in hindi

अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।

संसद भवन पर कविता

नये संसद भवन पर कविता – कविता दुनिया

नये संसद की रचना की गई,
स्वप्नों का आकार बदला गया।
महानता की वाणी सुनाई दी,
जग में नया उजाला जगाया गया।
स्वतंत्रता के संगठन का नया निवास,

माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन

Harivansh Rai Bachchan Poems – हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो

बादल पर कविता

बादल पर कविता – बादल गमों का साथी हैं जीवन के

बादल गमों का साथी हैं जीवन के,
हर अँधेरे में उम्मीद का पहरा लेकर।
जैसे उनके गुजरने से आती हैं बहार,
हमारे जीवन में खुशियों की बौछार लेकर।

सावरकर पर अटल जी की कविता
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सावरकर पर अटल जी की कविता – जो बरसों तक सड़े जेल में

जो बरसों तक सड़े जेल में, उनकी याद करें।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें।
याद करें काला पानी को,
अंग्रेजों की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेरते,

हिरोशिमा की पीड़ा

हिरोशिमा की पीड़ा – अटल बिहारी वाजपेयी

किसी रात को
मेरी नींद अचानक उचट जाती है
आँख खुल जाती है
मैं सोचने लगता हूँ कि
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
आविष्कार किया था
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण

Krishna Ki Chetavani
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Krishna Ki Chetavani | रामधारी सिंह दिनकर | Rashmirathi

वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है

सूरज को नही डूबने दूंगा

सूरज को नही डूबने दूंगा – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

अब मै सूरज को नही डूबने दूंगा
देखो मैने कंधे चौडे कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एडियाँ जमाकर
खडा होना मैने सीख लिया है

मापदण्ड बदलो

मापदण्ड बदलो – दुष्यन्त कुमार

मेरी प्रगति या अगति का
यह मापदण्ड बदलो तुम,
जुए के पत्ते सा
मैं अभी अनिश्चित हूँ ।
मुझ पर हर ओर से चोटें पड़ रही हैं,
कोपलें उग रही हैं,
पत्तियाँ झड़ रही हैं,

समर शेष है

समर शेष है – रामधारी सिंह दिनकर

ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो
किसने कहा, युद्ध की बेला गई, शान्ति से बोलो?
किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्नि के शर से
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से?