संसद भवन पर कविता

संसद भवन पर कविता

नये संसद की रचना की गई,
स्वप्नों का आकार बदला गया।
महानता की वाणी सुनाई दी,
जग में नया उजाला जगाया गया।
स्वतंत्रता के संगठन का नया निवास,
हर दिल में नई आस्था भरी है।
देश के उत्कर्ष की अग्रणी संस्था,
प्रगति के पथ पर जगमगायी है।
भविष्य की आवाज को इसे दिया गया,
जनता की आंधी में ये खड़ा है।
सुनने को वहाँ हैं सबकी बातें,
जनता के दिलों को इसने चुराया है।
संसद की गलियों में विचारों की बौछार,
प्रश्नों की बारिश बरसाती है।
न्याय की प्रगति का ये अभिनव केंद्र,
लोकतंत्र की गाथा गाती है।
प्रतिष्ठा के आधार पर उठी यह भव्य भवन,
प्रगति की चरम सीमा को छूने।
नवयुवकों को मोहित कर दिया है,
राष्ट्र के भाग्य को नया मोड़ दिया।
नये संसद की गाथा चली अग्रसर,
देश की ताकत को यहीं बढ़ाती है।
प्रगति की राहों में इसका महत्व,
विकास की नई गाथा रचाती है।
चलो हम सब मिलकर ये संसद सजाएं,
विचारों की प्रगति को चाहें।
नये संसद के बारे में गर्व महसूस करें,
भारत को नया रूप दें!

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