महाकुंभ 2025: महाकुंभ पर कविता
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महाकुंभ 2025: महाकुंभ पर कविता

प्रयागराज, उज्जैनी, नासिक और हरिद्वार
बारह साल के अंतराल में,
कुंभ मेले लगते एक बार
पर प्रयागराज के इस महाकुंभ ने,

सर्दी पर कविता - सर्दी हो गई बेदर्दी
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सर्दी पर कविता – सर्दी हो गई बेदर्दी

सर्दी हो गई बेदर्दी
ना दिखाएं जवांमर्दी
दो के पहाड़े जैसी सीधी
आज बन गई 29 का पहाड़ा

राष्ट्रवाद पर कविता - अखंड भारत का सपना | जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता
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राष्ट्रवाद पर कविता – अखंड भारत का सपना | जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता

अखंड भारत का सपना,
चाणक्य ने कभी सजाया था
चंद्रगुप्त के माध्यम से,
भारत भव्य विशाल बनाया था

Patriotic Poem in Hindi | स्वतंत्रता पर कविता हिंदी में
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Patriotic Poem in Hindi | स्वतंत्रता पर कविता हिंदी में

भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए
शासन प्रशासन में अनैतिक कोई अनुबंध ना हो
स्वतंत्र तो हो गए हम 47 में,
पर स्वतंत्र का मतलब स्वच्छंद ना हो

सच्ची दोस्ती पर कविता

सच्ची दोस्ती पर कविता – मित्र बिना सब निर्धन

सच्चे मित्र की है पहचान
काम आए बुरे वक्त में
बताए नहीं कभी एहसान
सो मित्रों के बराबर ऐसा

वृक्षारोपण पर कविता

वृक्षारोपण पर कविता: एक पेड़ लगाए मां के नाम

प्रधानमंत्री जी का है आव्हान
वृक्षारोपण का चल रहा अभियान
शासन प्रशासन के प्रयास तमाम
अनेक समस्याओं का समाधान

Maharana Pratap Poem in Hindi
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Maharana Pratap Poem in Hindi | प्रताप की प्रतिज्ञा – श्याम नारायण पांडेय

गिरि अरावली के तरु के थे
पत्ते–पत्ते निष्कंप अचल
बन बेलि–लता–लतिकाएं भी
सहसा कुछ सुनने को निश्चल।