
रामधारी सिंह दिनकर की वीर रस की कविताएं
रामधारी सिंह दिनकर का योगदान हिन्दी साहित्य में अद्वितीय है, और उनकी कविताएं आज भी याद की जाती हैं, जो भारतीय समाज के लिए एक आदर्श और प्रेरणास्रोत की भूमिका निभाती हैं।

सुंदर कविता हिंदी में – ऐसे मैं मन बहलाता हूँ – हरिवंशराय बच्चन
सोचा करता बैठ अकेले,
गत जीवन के सुख-दुख झेले,
दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले सहलाता हूँ!
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!

चुनाव कविता – आखिर संपन्न हुए चुनाव | व्यंग्य
लोकतंत्र का महापर्व,
दुनिया जिस पर करती गर्व
जनता चाहती सुखद बदलाव
आखिर संपन्न हुए चुनाव...
5 साल का जनादेश,
जीवन भर फिर ऐश ही ऐश
नेता ओढ़ें संतों का वेष,
यद्यपि संत भी अब कहां शेष

सुरंग में फंसे मजदूरों की व्यथा – मजदूर पर कविता
अब तो निकालिए सुरंग से मुझको,
मुझे अपने घर जाना है
किया था जो वादा परिवार से,
वह वादा निभाना है
निभाना है फर्ज बेटे का,
कर्ज पिता का मुझे चुकाना है

मिथिला – रामधारी सिंह दिनकर
मैं पतझड़ की कोयल उदास,
बिखरे वैभव की रानी हूँ
मैं हरी-भरी हिम-शैल-तटी
की विस्मृत स्वप्न-कहानी हूँ।

हे भारत के राम जगो – श्याम सुंदर रावत | आशुतोष राणा
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं,
सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूं
सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में,
आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में

सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
यह सच है-
तुमने जो दिया दान दान वह,
हिन्दी के हित का अभिमान वह,
जनता का जन-ताका ज्ञान वह,
सच्चा कल्याण वह अथच है--

अज्ञेय की कविताएं
रुकेंगे तो मरेंगे, कहती है पत्रिका, जीवन का मालिन्य, उधार, जो रचा नहीं, मन बहुत सोचता है

कविता का हठ – हुंकार – रामधारी सिंह दिनकर
"बिखरी लट, आँसू छलके, यह सुस्मित मुख क्यों दीन हुआ?
कविते! कह, क्यों सुषमाओं का विश्व आज श्री-हीन हुआ?
संध्या उतर पड़ी उपवन में? दिन-आलोक मलीन हुआ?
किस छाया में छिपी विभा? श्रृंगार किधर उड्डीन हुआ?

गांधी जयंती पर कविता – गांधी नेता नहीं सिर्फ महात्मा होते
भारत की है जिससे पहचान,
सारी दुनिया में जिनका मान
समाधि जिनकी तीर्थ समान,
हर नेता के प्रथम भगवान
गांधी नाम का जप कर कर,
श्री गणेश होता चुनाव अभियान