महाकुंभ 2025: महाकुंभ पर कविता

महाकुंभ 2025: महाकुंभ पर कविता- युगों से सनातन संस्कृति की धारा में बहता आ रहा कुंभ मेला आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक एकता का सबसे बड़ा प्रतीक है। इस पवित्र आयोजन में, जहाँ संगम स्नान के साथ देवताओं का आव्हान होता है, साधु-संतों की तपस्या और श्रद्धालुओं की भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। प्रयागराज, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार जैसे पावन स्थलों पर बारह वर्षों के अंतराल में होने वाला कुंभ मेला, सनातन धर्म की गहराई और सार्वभौमिकता का साक्षी है।

महाकुंभ 2025: महाकुंभ पर कविता

नागा साधुओं की अद्भुत साधना, धार्मिक प्रवचन और संगम स्नान का पुण्य इस मेले को संसार के सबसे अद्वितीय आयोजनों में से एक बनाते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक समानता और मानवीय एकता का संदेश भी देता है। आगे आप महाकुंभ पर कविता को पढ सकते हैं-

युग बदले, सदियां बदली,
शासन बदले, नीतियां बदली
व्यवहार बदले, भाषाएं बदली
पर बदली नहीं सनातन संस्कृति
आस्था का सबसे बड़ा समागम,
चल रहा अनवरत अविराम
संगम में करके स्नान,
देवताओं का हम करें आव्हान

प्रयागराज, उज्जैनी, नासिक और हरिद्वार
बारह साल के अंतराल में,
कुंभ मेले लगते एक बार
पर प्रयागराज के इस महाकुंभ ने,
144 साल का खत्म किया इंतजार
सारे शुभ नक्षत्र एक ही स्थान पर,
यह महाकुंभ परम तीर्थ समान
संगम में करके स्नान,
देवताओं का हम करें आव्हान

चारों पावन तीर्थ के वासी,
12 वर्ष तक करते इंतजार
अर्थव्यवस्था तो सुधरती ही है,
क्षेत्र की, प्रदेश की, देश की,
धार्मिकता, सात्विकता, सामाजिक समानता
में भी दिखता चमत्कार
छुआछूत से परे, समस्त शुद्धात्माएं
एकत्रित होती एक ही स्थान
संगम में करके स्नान,
देवताओं का हम करें आव्हान

जब भी कुंभ कहीं पर आता
दुनिया का सबसे बड़ा नगर बन जाता
आस्था भक्ति का सेलाब आता
श्रद्धा विश्वास से जग जगमगाता
जितने कई देशों की कुल जनसंख्या,
उतने तो एक दिन में करते स्नान
संगम में करके स्नान,
देवताओं का हम करें आव्हान

अद्भुत तपस्वी नागा साधु,
अद्भुत उनके क्रियाकलाप
कोई बरसों से खड़े एक पांव पर,
कोई नहीं झुकाते अपना हाथ
कोई 61 घड़े ठंडे पानी से नहाते हैं,
पर संतुलित रहता रक्तचाप
किसी ने अनाज उगा रखा सर पर,
किसी ने पाले जटा में सांप
कोई सोए नहीं बरसों से,
तो किसी ने त्याग रखा है जलपान
संगम में करके स्नान,
देवताओं का हम करें आव्हान

एक जगह जमा होते करोड़ों,
बिन चिट्ठी, बिन तार
नागा, अघोरी और संत, महात्माओं का,
करने को दरश दीदार
सौभाग्यशाली हैं वे उतने,
कुंभ नहाते जितनी बार
कमला बन गई स्टीव जॉब्स की पत्नी,
सनातन का ही है यह चमत्कार
शानदार व्यवस्था है यू पी सरकार की,
सारा शासन, प्रशासन ही है मेजबान
अन्न क्षेत्रों का पवित्र भोजन है,
तो प्रवचन अमृत वचन समान
हम भी जाएं पुण्य कमाएं,
संतो के दर्शन करें ईश्वर मान
संगम में करके स्नान,
देवताओं का हम करें आव्हान

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