कृष्ण कविताकृष्ण कविता – कृष्ण के गीता ज्ञान से

बगैर गीता के भी हम जीवन जी रहे, शानदार दिन गुजर रहे
जरूरत कहां किसी भी ज्ञान की, कुत्ते तक अपना पेट भर रहे
मैं बात करूं अपने जैसों की तो, हमें जो करना था वह हम कर रहे
पढ़े लिखे, नोकर हुए, पेंशन पाई, आबादी बड़ाई और मर रहे
पर क्या यही था उद्देश्य जीवन का, पूछे अपने अंतर्मन के भगवान से
हम निखारे जीवन अपना, कृष्ण के गीता ज्ञान से 

सहज सुलभ नहीं चारों वेद, उपनिषदों में हैं उनका विस्तार
उपनिषद भी 108 है, मुश्किल, सामान्य जन तक उनका प्रसार
ऐसे में गीता के 700 छन्दों में, मिलता इन पावन ग्रंथों का सार
कृष्ण के इस अद्भुत कार्य ने, कृष्ण को बनाया परम अवतार
काव्य विषय है हृदय का, पर गीता से मस्तिष्क को भी मिलती धार
हर अध्याय जीवन उपयोगी, हर छंद सुसज्जित समस्या के समाधान से
हम निखारे जीवन अपना, कृष्ण के गीता ज्ञान से
गीता कठिन बहुत है, यदि हम समझना चाहें
पर सरल बहुत है, यदि व्यवहार में लायें
कृष्ण का उपदेश अर्जुन को, निष्काम कर्म का पाठ पढ़ाए
ब्रह्मांड दिखाकर मुख में अर्जुन को, योग की दिखाते अनंत क्षमताएं
एकमात्र हैं कृष्ण धरा पर, स्वयं को अहम् ब्रह्मास्मि जो कह पाए
अर्जुन के जो प्रश्न थे अतीत में, अलग नहीं वर्तमान से
हम निखारे जीवन अपना, कृष्ण के गीता ज्ञान से 
ओशो, आइंस्टीन से गांधी, टॉलस्टॉय तक
हर शख्स यह सिखाता है
कष्टों से घबराकर जो कर्तव्य से हट जाता है
फिर जहां कहीं भी वह जाता है, कष्ट नहीं वह पाता है
फल हमारे हाथ नहीं, सिर्फ कर्म से हमारा नाता है
गीता का हर छंद, दुनिया की हर समस्या का समाधान सुझाता है
क्या बनेंगे, क्या भोगेंगे, क्या भुगतेंगे, निश्चय होगा कर्मों के मान से
हम निखारे जीवन अपना, कृष्ण के गीता ज्ञान से 
गीता में उद्देश्य निहित है, कर्म की प्रतिपादित हो सत्ता
भक्ति, ज्ञान और कर्म योग में, सबसे ऊपर कर्म की महत्ता
हम सुधारें अपने कर्मों को, गीता की यही है सार्थकता
एक बुरा कम हो जाए दुनिया से, यदि मैं सिर्फ अपने को अच्छा बना सकता
बढ़ते नहीं दुष्कर्म देश में, यदि पाठ्यक्रमों में गीता की होती संलिप्तता
दुष्कर्मोंं को ही जो सत्कर्म माने, एनकाउंटर में जाएंगे ही वह जान से
कर्म से ही है पहचान हमारी, करें पूरी इमानदारी से
किसान फसल उगाये, पशु पालें, संपूर्ण जिम्मेदारी से
नौकरी करे नौकरी पैसा, बचे लालच और मक्कारी से
विद्यार्थी सिर्फ शिक्षा पाए बचे व्हाट्सएप और फेसबुक की बीमारी से
मिलावट रहित हो खाद्य सामग्री, यह उम्मीद व्यापार में है व्यापारी से
महिलाएं विषमता में भी सम रखें परिवार को, सीखें कुंती और गांधारी से
बुजुर्गों का अनुभव है धरोहर देश की , सहेजें सहज समझदारी से
पर सर्वश्रेष्ठ कर्म सरहद की रक्षा, जो सेना करती मरने तक की तैयारी से
राजनेताओं से उम्मीद सेवा की, त्याग, तपस्या की, वे प्रेरणा लें ब्रह्मकुमारी से
काम को ही हम माने पूजन, यह अलग नहीं आरती, अरदास या अजान से
हम निखारे जीवन अपना, कृष्ण के गीता ज्ञान से 

कृष्ण कविता – कृष्ण के गीता ज्ञान से

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