महाशिवरात्री पर कविता | Poem on Shiv in Hindi
महाशिवरात्री पर कविता
फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी,
महाशिवरात्री का महात्योहार
सृष्टि का आरम्भ अग्नि लिंग से,
जो महादेव का असीम आकार
शिव पार्वती के विवाह से जोडकर,
प्रारंभ बताते कथाकार
ज्यादा सटीक समुद्र मंथन की कहानी,
जब विष पीकर बचाया संसार
नृत्य संगीत और ध्यान योग से,
देवों ने किया शिव सत्कार
तभी से मनाते शिवरात्री
मानने शिव का महा आभार
शिव स्वयं मे है त्रिमूर्ति,
ब्रह्मा, विष्णु, महेश इनके ही हैं अवतार
ब्रह्मा से उत्पत्ति, विष्णु से पोषण
शंकर बन करते संहार
सेकड़ों नाम महादेव के,
पर सुधिजन ज्योतिपुंज या
प्रकाश स्वरूप बतलायें
महाशिवरात्री पर्व की आप सभी को
बहुत-बहुत शुभकामनायें
जो नहीं मानते साकार स्वरूप
वह भी मानते अलोकिक शक्ति
रहस्य मय है चिन्तन शिव का
पार न पाते इनका व्यक्ति
ज्योति स्वरूप है, शांति स्वरूप है,
परम धाम से है उत्पत्ति
अनाशक्त है, अव्यक्त है, अनादि है,
अनन्त हैं और अद्विती
वेद, उपनिषदों से पुराणों तक,
सभी में वर्णित इनकी भक्ति
समझना मुश्किल परम शिव को
समझ न आये कोई युक्ति
पूर्ण आस्था से हम हो समर्पित,
तब जैसा चाहे वैसा फल पायें
महाशिवरात्री पर्व की आप सभी को
बहुत-बहुत शुभकामनायें
ये सुने-
अब बात विभिन्न प्रतिकों की
जिनसे हम प्रेरणा पायें
तीन बेल पत्रों से शिव,
तन, मन, धन का पूर्ण समर्पण चाहें
आक, धतूरा, भांग बताते,
बाहय नशे से अन्तर्मन को बचायें
तीसरा नेत्र खोलें बोध का,
कल जहाँ थे उससे आगे हम जायें
नन्दी का बाहर होना अनन्त प्रतीक्षा में,
असीम धैर्य का पाठ पढाये
दिव्यता की जरूरत नहीं भव्यता को
भस्म लपेट कर शिव दिखलायें
सर्प और भूत प्रेतों से मैत्री,
यानि बाधाओं को अपने अनुकूल बनायें
चन्द्रमा का मस्तिष्क पर धारण,
मतलब शीतलता हमारे व्यवहार में आये
अद्भुत है सारे संकेत,
अशुभ में भी शुभ का बोध कराये
मानसिक उत्कर्ष का है यह पर्व,
मानव उत्कर्ष में इसे लगाये
महाशिवरात्री पर्व की आप सभी को
बहुत बहुत शुभकामनायें
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