आत्मविश्वास पर कविता: जब अंधकार सब को घेर रहा हो
जगमगाती रात की गहराइयों में,
जब अंधकार सब को घेर रहा हो,
आत्मविश्वास की दीप्ति जगमगाए,
खुद को स्वीकार करो और सफर करो।
जगमगाती रात की गहराइयों में,
जब अंधकार सब को घेर रहा हो,
आत्मविश्वास की दीप्ति जगमगाए,
खुद को स्वीकार करो और सफर करो।
वक्त जगाता है एक कवि को,
अनकही कहानियों को सुनाता है।
बीता हुआ कल लेकर आता है,
आने वाले कल की आशा जगाता है।
पापा की छाँव, प्यार और सम्मान,
जैसे निश्छल पत्थर की मुकुटधार।
जब मुसीबतें आईं, तब आप थे साथ,
बच्चों की भांति साथी रहे हर पल।
आईना, जो मुझको मेरी रूप-रेखा बताता है,
सच्चाई की रोशनी लेकर मेरा चेहरा छिपाता है।
यह दर्पण, मेरी अंतर्दृष्टि को प्रकट करता है,
मेरे भावों की प्रतिबिंबिति कर, सच्चाई बतलाता है।
बचपन, वो अनमोल दौलत है,
खेल-खिलौने की वो मिठास है।
माँ के आँचल में छुपा जादू है,
खुशियों का पुलिंदा, वो अद्भुत दिन है।
दोस्ती का रंग चढ़ा आसमानों में,
मिल जाती है यहाँ हर दिल की मन्नतों में।
सच्ची दोस्ती की किरण चमकती है,
जीवन के सफर में अच्छाई बढ़ती है।
भारत में लागू होना चाहिए समान नागरिक सहिंता,
विभाजितता के मायाजाल से मुक्त हो जाए हमारा देश।
हम सबका रवैया हो समान, न कोई भेदभाव का खेल,
Sushant Singh Rajput Poem सुशांत सिंह राजपूत, वो अद्वितीय थे यारों, उनकी आंखों में चमक, उनके अंदाज में कुछ बात थी। उनकी प्रेरणा से जीते थे हम सपने बड़े, दिखाते थे कि संघर्ष से मिलते है सम्मान बड़े। एक अभिनय कला का निर्माता वो थे, उम्र के छोटे-बड़े थे वो सच्चे मायने में यारों। छलांगें…
जीवन एक कविता है, सुंदर और अद्वितीय,
स्वर्ग और नरक का खेल है, अनंत और अनन्ती।
यह एक सफर है, मजबूती और कमज़ोरी का,
आशा की रौशनी और विपत्तियों का मंज़र है।
घुटनो से रेंगते रेंगते
कब पैरो पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छाव में
ना जाने कब बड़ा हुआ