Khud Par Kavita: खुद की अद्भुतता में मैं पुरुषार्थ हूँ

Khud Par Kavita: खुद की अद्भुतता में मैं पुरुषार्थ हूँ

खुद को खोजता हूँ, खुद में खो जाता हूँ,
अपने अंदर की गहराइयों में रौशनी ढूंढता हूँ।
मस्तिष्क की उलझनों को सुलझाता हूँ,
अपनी रूह की आवाज़ को सुनता हूँ।

काले बादल कविता: पृथ्वी को सुखी धरा चिढ़ा रहे हैं

काले बादल कविता: पृथ्वी को सुखी धरा चिढ़ा रहे हैं

काले बादल आसमान में,
गहरी सियाही बिखरा रहे हैं।
वर्षा की आहट सुनाई दे रही,
पृथ्वी को सुखी धरा चिढ़ा रहे हैं।

कविता: योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्

कविता: योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्

योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्,
जीवन का उत्थान,
यहाँ आपको जीने का सही रास्ता सिखाता है
मानवता का पाठ पढाता है।

शिव पर कविता: नित्य नौकर तेरा रहूँगा

शिव पर कविता: नित्य नौकर तेरा रहूँगा

भोलेनाथ नाम तुम्हारा,
महादेव, शिव अपारा।
त्रिनेत्र धारी गंगाधार,
मन मोहित, रूप अनूप तुम्हारा।

संगीत पर कविता: जो चर्चा को बंद करवाता हैं

संगीत पर कविता: जो चर्चा को बंद करवाता हैं

धुनों की मधुरता, ताल की मगनता,
संगीत जीवन का अमृत है बनता।
भावों का संगम, आत्मा का संगीत,
इसकी महिमा कोई कहने से पीछे नहीं रहता।

गर्मी पर कविता: Hindi Poem on Summer Season

गर्मी पर कविता: Hindi Poem on Summer Season

धूप की छांव में बदल जाता हैं मौसम,
गर्मी की आग में जलता ये तन मन।
तपते हैं धरती के अंग शीतलता के लिए,
पानी की तलाश में भटकते हैं लोग यहां।

आत्मविश्वास पर कविता: जब अंधकार सब को घेर रहा हो

आत्मविश्वास पर कविता: जब अंधकार सब को घेर रहा हो

जगमगाती रात की गहराइयों में,
जब अंधकार सब को घेर रहा हो,
आत्मविश्वास की दीप्ति जगमगाए,
खुद को स्वीकार करो और सफर करो।

Pita Par Kavita: पिता के बिना नहीं हो सकता कोई जीवन

Pita Par Kavita: पिता के बिना नहीं हो सकता कोई जीवन

पापा की छाँव, प्यार और सम्मान,
जैसे निश्छल पत्थर की मुकुटधार।
जब मुसीबतें आईं, तब आप थे साथ,
बच्चों की भांति साथी रहे हर पल।

आईना पर कविता: आईना, जो मुझको मेरी रूप-रेखा बताता है

आईना पर कविता: आईना, जो मुझको मेरी रूप-रेखा बताता है

आईना, जो मुझको मेरी रूप-रेखा बताता है,
सच्चाई की रोशनी लेकर मेरा चेहरा छिपाता है।
यह दर्पण, मेरी अंतर्दृष्टि को प्रकट करता है,
मेरे भावों की प्रतिबिंबिति कर, सच्चाई बतलाता है।