Khud Par Kavita: खुद की अद्भुतता में मैं पुरुषार्थ हूँ

Khud Par Kavita

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खुद को खोजता हूँ, खुद में खो जाता हूँ,
अपने अंदर की गहराइयों में रौशनी ढूंढता हूँ।
मस्तिष्क की उलझनों को सुलझाता हूँ,
अपनी रूह की आवाज़ को सुनता हूँ।
हर पल, हर दिन, खुद को चुनता हूँ,
खुद की प्रतिभा को जगाता हूँ।
खुद की ताकतों को पहचानता हूँ,
खुद के सपनों को पूरा करता हूँ।
खुद को प्रेम से समझाता हूँ,
खुद की कमज़ोरियों को गले लगाता हूँ।
खुद को स्वीकारता हूँ, प्रेम करता हूँ,
खुद पर विश्वास करता हूँ, सपने सच करता हूँ।
मैं अपने आप में शक्ति का स्रोत हूँ,
खुद को विकसित करके ऊँचाइयों को छू जाता हूँ।
खुद के रंगों में खुद को ढंकता हूँ,
खुद के सपनों का नया पर्दा ओढ़ता हूँ।
खुद पर गर्व है, खुद पर विश्वास है,
अपनी पहचान में मैं अभिमान हूँ।
खुद से प्यार है, खुद को स्वीकार है,
खुद की अद्भुतता में मैं पुरुषार्थ हूँ।

आत्मविश्वास पर कविता

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