काले बादल कविता: पृथ्वी को सुखी धरा चिढ़ा रहे हैंBy Kavita Dunia | June 19, 2023 काले बादल कविताकाले बादल आसमान में,गहरी सियाही बिखरा रहे हैं।वर्षा की आहट सुनाई दे रही,पृथ्वी को सुखी धरा चिढ़ा रहे हैं।उठा लिया इन बादलों ने धूल,अरजुनी वृक्षों की छाया छिपा रहे हैं।घने घने आवारे लहर बदल रही,जीवन को नई उमंगों से भर रहे हैं।धरती धूल उडाए आँधी आई है,फूलों को संगीत वायु सुना रही हैं।बादलों की छाँव में खेलती हुई,चिड़िया आशावादी गीत गा रही हैं।जीवन के अँधेरों में उजियाला लाकर,काले बादल नया सवेरा ला रहे हैं।धरा भी प्यासी हो चुकी थी वर्षा की,बादल जल बहाकर तृप्ति दिला रहे हैं।चाहते हैं हम बादलों की तरह बनना,जीवन में खुशियों का जल बहा रहे हैं।काले बादल आसमान में चमक उठे,धरा पर अपनी रहमत बरसा रहे हैं।काले बादल कविता
बादल पर कविता – बादल गमों का साथी हैं जीवन केBy Kavita Duniaबादल गमों का साथी हैं जीवन के, हर अँधेरे में उम्मीद का पहरा लेकर। जैसे उनके गुजरने से आती…