कविता: योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्

योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्

योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्

योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्,
जीवन का उत्थान,
यहाँ आपको जीने का सही रास्ता सिखाता है
मानवता का पाठ पढाता है।

वसुधैव का तात्पर्य,
सभी मनुष्यों का परिवार,
जहां सब बंधनों को तोड़ कर,
जीवन को जोड़ देता है।

योग के जरिए तप करें,
मन, शरीर, आत्मा को दे परम संयम,
सुखी जीवन जियें,
साथ लाएं शांति, प्रेम, सम्मान और आराम।

योगासनों के माध्यम से,
आपका शरीर सुगम बनाएं,
प्राणायाम से मन को शांत करें,
विचारों को नवीनता से सजाएं।

ध्यान करें आत्मा का,
आपकी आंतरिक शक्ति जागृत करें,
ज्ञान का भोग उठाएं,
आनंद के सागर में डूब कर तरंग बनें।

स्वयं के और दूसरों के प्रति
करें स्नेह की सीमा लांघ,
भूमि पर सबको सम्मान दें,
सहज व्यवहार में प्रेम का उत्थान।

योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्,
यह हमारी विशेषता होनी चाहिए,
एकता और सद्भावना से जीवन जियें,
सुख-दुख को मिलकर सहें।

आओ मिलकर योग करें,
वासुदेव का संग्राम करें,
मानवता को संगठित करें,
खुशहाली का संदेश फैलाएं।

योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम्,
हमारी प्रार्थना है यही,
सभी मनुष्यों को आपस में मिलाकर,
खुशहाली की राह चुनाएं यही।

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