योग पर कविता जागो जगाने आया हूँ, योग के साथ लय लाया हूँ। सूर्योदय के संग जगमगा रहा हूँ, आत्मा को जगाने आया हूँ।श्वास में दिल की धड़कनों को लिपटा लाया हूँ, ध्यान के साथ चंदन को चढ़ा लाया हूँ। अंधकार से उठकर प्रकाश में बदल आया हूँ, आत्मा को प्रकाशित करने आया हूँ।आसन बना रहा हूँ, प्राण बहा रहा हूँ, शरीर को स्वस्थ बनाने आया हूँ। मन को स्थिर रखने का राज बताने आया हूँ, आत्मा को स्वयंसिद्ध करने आया हूँ।ध्यान की गहराई में गुम हो जाता हूँ, शांति के साथ समय बिताता हूँ। विश्राम का अनुभव करके जीवन का मार्ग दिखाता हूँ, आत्मा को अनंत मार्ग दिखाने आया हूँ।सभी को योग की ओर बुलाने आया हूँ, आत्मा को पहचाने जाने आया हूँ। जीवन को धर्म से जोड़ने आया हूँ, आत्मा को मुक्ति के लिए लाया हूँ।स्वामी विवेकानंद के प्रण योग की आग जला दे, अंतर की अंधकार उजाला दे। मन की उलझन को दूर करे, आत्मा को अनंत शक्ति दे।योग पर कविता