चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात है – Sarveshwar Dayal SaxenaBy Kavita Dunia | June 24, 2023 चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात हैचाँदनी की पाँच परतें,हर परत अज्ञात है।एक जल मेंएक थल में,एक नीलाकाश में।एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती,एक मेरे बन रहे विश्वास में।क्या कहूँ, कैसे कहूँ…..कितनी जरा सी बात है।चाँदनी की पाँच परतें,हर परत अज्ञात है।एक जो मैं आज हूँ,एक जो मैं हो न पाया,एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी,एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम,एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया।क्यों सहूँ, कब तक सहूँ….कितना कठिन आघात है।चाँदनी की पाँच परतें,हर परत अज्ञात है।चाँदनी की पाँच परतें हर परत अज्ञात है
कच्ची सड़क – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताBy Kavita Duniaसुनो ! सुनो ! यहीं कहीं एक कच्ची सड़क थी जो मेरे गाँव को जाती थी। नीम की निबोलियाँ…
Hindi Kavita: अगर कहीं मैं घोड़ा होता – सर्वेश्वर दयाल सक्सेनाBy Kavita Duniaअगर कहीं मैं घोड़ा होता वह भी लंबा चौड़ा होता तुम्हें पीठ पर बैठा कर के बहुत तेज मैं…