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राम का कार्य हुआ पूर्ण – अब इसके आगे क्या | Hindi Kavita
राम अयोध्या वापस आए
दुनिया फिर दिवाली मनाएं
गांव गली हर घर मोहल्ला
राम हनुमान के ध्वज फहराये
मंदिर मंदिर उल्लास भया
मां की तस्वीर नहीं रखता कमरे में मैं – छोटी सी कविता
मां की तस्वीर नहीं रखता
कमरे में मैं
वह बसती है यादों में मेरे
आंखों से बहती सांझ सबेरे
जन्मे आप तो भयावह रात थी – Poem on Krishna in Hindi
सतयुग, द्वापर, त्रेता बीता,
चल रहा है कलयुग का काल
शुरुआत ही है कलिकाल की,
चलना और हजारों साल
घर-घर कंश है दर-दर दुर्योधन,
एक नही पर गिरधर गोपाल
Hindi Diwas par Kavita – हिंदी ही हो हमारे स्वाभिमान की भाषा
संस्कृत जननी है विश्व भाषाओं की,
मानता है सारा संसार
हमारी क्षेत्रीय भाषाओं का भी,
संस्कृत ही है मूल आधार
देववाणी रही संस्कृत
शिक्षक पर कविता – निर्माण और विध्वंस गोद में पलते हैं शिक्षक के
शिक्षकों पर निर्भर है दुनिया,
शिक्षक बढ़ाते देश का मान
भौतिकता पर नैतिकता का अंकुश,
शिक्षक ही रखते महावत समान
पादरी चलाते देश कहीं तो,
कहीं मूल्ला रखते हाथ में कमान
जैसी जिसकी शिक्षा वेसा,
देश उनका उतना बनता महान
दशहरा पर कविता – इतने राम कहां से लाऐं
हर वर्ष दहन होता रावण,
पर अगले साल और बड़ा होता है
पहले शहर में एक जलता था,
अब हर मोहल्ले में खड़ा होता है
कौन जलाए, किस के फोटो आए,
यह प्रश्न बड़ा होता है
जिसमें रत्ती भर भी नहीं अंश राम का,
सिर्फ खोल चढ़ा होता है