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भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार – कविता
कोरोना की होगी निश्चित हार शुभ ही शुभ घटता प्रकृति में, शुभ प्रकृति का, स्थायी व्यवहार। शुभ के लिए ही जन्मते धर्म, शुभ के लिए ही होते अवतार। सनातन धर्म है शुभ सदा से, विज्ञान को हमने माना आधार। शुभ संस्कृति में रहा समाहित, जिससे शुद्ध रहे आचार विचार। शुभ, शुद्ध और संयम का संतुलन,…
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कृष्ण कविता – कृष्ण के गीता ज्ञान से
बगैर गीता के भी हम जीवन जी रहे, शानदार दिन गुजर रहे
जरूरत कहां किसी भी ज्ञान की, कुत्ते तक अपना पेट भर रहे
मैं बात करूं अपने जैसों की तो, हमें जो करना था वह हम कर रहे
![प्लास्टिक प्रदूषण पर कविता – आओ प्लास्टिक मुक्त समाज बनाएं](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2020/09/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%A3-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-768x448.webp)
प्लास्टिक प्रदूषण पर कविता – आओ प्लास्टिक मुक्त समाज बनाएं
अपने आदमी से इंसान होने के प्रमाण में,
प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को लाने संज्ञान में,
हम संकल्पित हो मन, वचन और कर्म से,
सरकार के पॉलिथीन मुक्ती अभियान में
पॉलीथिन है दुश्मन प्रकृति का,
ना आप इससे बेखबर, ना ही इससे अनजान मैं
![क्या होगा कोरोना के बाद? – हिंदी कविता](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2020/08/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6-768x448.webp)
क्या होगा कोरोना के बाद? – हिंदी कविता
जब कोरोना छट जाएगा,
नया युग तब आएगा।
इतिहास लिखा जाएगा ऐसे,
युग समाप्त हुआ हो जैसे।
एक कोरोना के पहले,
एक कोरोना के बाद।
क्या होगा कोरोना के बाद?
![सरस्वती वंदना कविता – हंस वाहिनी वाणी दायिनी](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2021/02/%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-768x448.webp)
सरस्वती वंदना कविता – हंस वाहिनी वाणी दायिनी
सोच हमारी बिगड़ गई माते, बिगड़े बोल जुबां पर आए
केकई, द्रौपदी की जिव्हा पर आ मां तूने, बड़े-बड़े कई युद्ध कराए
पर अब उतर तू कृष्ण सी जिव्हा पर, एक और ज्ञान गीता जग चाहे
वेदव्यास सी बुद्धि दे माता, विवेकानंद सा ज्ञान रे
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Tulsidas ki Kavita- एक अकेले तुलसीदास| Tulsidas Poem in Hindi
ना कोई तुलना, ना कोई टक्कर,
उन पर निर्भर सारा इतिहास
कवि कहें, संत कहें या मसीहा समाज के,
सीमित करने का न करें प्रयास
सम्पूर्ण मानव थे इस धरा पर,