Gyan Par Kavita: ज्ञान की अग्नि में जलकर
ज्ञान की अग्नि में जलकर जगमगाते हैं हम,
जीवन को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाते हैं हम।
ज्ञान की सीढ़ी चढ़कर हम उच्चाईयों को छू सकते हैं,
ज्ञान की अग्नि में जलकर जगमगाते हैं हम,
जीवन को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाते हैं हम।
ज्ञान की सीढ़ी चढ़कर हम उच्चाईयों को छू सकते हैं,
भिक्षुक
वह आता–
दो टूक कलेजे को करता, पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को
हेमन्त में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है
पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है
हो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहाँ
खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ
कामचोरी का संसार देख,
आँखे भी हैरान है,
परिश्रम की बात से भागते,
क्यों लोग विकास से अंजान है।
पहले पाठ में सीखेंगे हम,
जीवन की अनमोल विद्याएं।
संघर्ष का वह मार्ग चुनेंगे,
जो आए सफलता में काम।
दूसरे पाठ में सीखेंगे हम,
कठिनाइयों को आसान करना।
पत्थर हूँ मैं, कठोर हूँ मैं,
अपनी मजबूती में छिपा हूँ मैं।
मेरी कठिनाईयों को तुम समझ न पाओगे,
हर संघर्ष में बचपन से खड़ा हूँ मैं।
महिला, सशक्तिकरण की
ओर आगे बढ़ रही है,
हर एक क्षेत्र में वो सम्मान पा रही है।
जीवन के संघर्षों का नया मुकाम है वो,
अज्ञानता की अंधेरी दुनिया में,
ज्ञान का प्रकाश फैलाएं हम।
शिक्षा का महत्व समझाएं इन्सानों को,
उनके मन को चमकाएं नयी रोशनी के संग।
हर तरफ भागदौड़, हर तरफ अन्याय,
बचा हुई है सिर्फ़ कुछ मोमबत्ती रौशनी के लिए।
आज की दुनिया जैसी है, खो गई मानवता,
दिलों में उम्मीद की किरण जगाने की जरूरत है।
गुरु एक ज्योति है,
जो मन को रौशनी देती है,
ज्ञान की किरणें बिखेर,
अंधकार को दूर भगाती है।