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सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
यह सच है-
तुमने जो दिया दान दान वह,
हिन्दी के हित का अभिमान वह,
जनता का जन-ताका ज्ञान वह,
सच्चा कल्याण वह अथच है–
![मैं अकेला – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2024/02/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A4%BE-768x448.webp)
मैं अकेला – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
मैं अकेला;
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला।