Chai Par Kavita – दोस्तों की मजबूरी को | चाय पर कविता
चाय की ये एक कहानी है,
जो भावों को जगाती है।
एक प्याली गर्म सी,
जीवन के हर पल को छू जाती है।
चाय की ये एक कहानी है,
जो भावों को जगाती है।
एक प्याली गर्म सी,
जीवन के हर पल को छू जाती है।
जागो जगाने आया हूँ,
योग के साथ लय लाया हूँ।
सूर्योदय के संग जगमगा रहा हूँ,
आत्मा को जगाने आया हूँ।
सदियों की ठंढी, बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
ना कोई संज्ञा, ना सर्वनाम,
ना विशेषण का ही कोई काम
बस आन, बान और शान बोल दें,
या पुकारें राजस्थान
बाल विवाह का मतलब साफ
जल्दी में शादी फुर्सत में पश्चाताप
कानून के तो यह है ही खिलाफ
प्रकृति विरुद्ध भी है यह पाप
पढ़ने, खेलने की उम्र में शादी,
जीवन भर का देती संताप
हमारी इस एक गलती का,
नित जीवन के संघर्षों से
जब टूट चुका हो अन्तर्मन,
तब सुख के मिले समन्दर का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।
अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे–
अरे ओ पथिक अभागे रे ।
नये संसद की रचना की गई,
स्वप्नों का आकार बदला गया।
महानता की वाणी सुनाई दी,
जग में नया उजाला जगाया गया।
स्वतंत्रता के संगठन का नया निवास,
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
बादल गमों का साथी हैं जीवन के,
हर अँधेरे में उम्मीद का पहरा लेकर।
जैसे उनके गुजरने से आती हैं बहार,
हमारे जीवन में खुशियों की बौछार लेकर।