घड़ी पर कविता

घड़ी पर कविता

देखो हमारी ये घड़ी,
क्या कहानी कह रही है,
अपनी परिधि में समय की
धारा बह रही है।

ये रंगीन परिंदों की
तरह दौड़ती है,
मिनटों की पंख उड़ाती है,
बीता वक्त दिखाती है।

मोमबत्ती सी जलकर
तारों की रोशनी देती है,
सदैव आपको याद रखने की
यही सीख देती है।

सुबह उठते ही जगाती है,
रात में सोने नहीं देती है,
चलती रहती है, तड़पती रहती है,
जीवन को जागरूक करती है।

पहने रहो इसे हमेशा
अपनी कलाई पर,
संगीत की तरह गुजरते समय को
बजाती है अपनी ताली पर।

दिनभर चलती रहती है,
इसकी धड़कन की तरह,
हर लम्हे को लिपटती है,
खुशियों के रंग सिखलाती है।

लेकिन जब घोड़ा दौड़ता है,
या समय बदल जाता है,
वो दौरान ये घड़ी तराशी हुई
वक्त को दिखाती है।

चाहे अच्छे वक्त की घड़ी हो,
या बुरे की बैलगाड़ी,
हर एक पल में जो भी हो,
ये हमारी भावनाओं की भाषा कहती है।

घड़ी जैसे हमारा जीवन होती है,
जो चलती रहती है,
चाहे संगीत की रचना हो,
या खुद की कविता कहती है।

ये घड़ी हमारी साथी है,
हमेशा साथ देती है,
जो भी हो जाए हमारी ज़िन्दगी में,
ये हमेशा याद रखती है।

घड़ी पर कविता

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *