समान नागरिक सहिंता पर कविता | Uniform Civil Code in Hindi

समान नागरिक सहिंता पर कविता

समान नागरिक सहिंता पर कविता

भारत में लागू होना चाहिए समान नागरिक सहिंता,
विभाजितता के मायाजाल से मुक्त हो जाए हमारा देश।
हम सबका रवैया हो समान, न कोई भेदभाव का खेल,
प्रेम, सम्मान और एकता से जीने लगे हम सब मिलकर।

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सबका हो समान अधिकार,
अपने मतभेदों को छोड़, एक दूसरे के बन जाए हम यार।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो हम सबके लिए समान,
धर्म, जाति, लिंग के चरवाहे बनाएं एक दूसरे का सम्मान।

समान नागरिक सहिंता हो देश की आधारशिला,
न्यायपूर्ण विचारधारा से रूपित हो हमारी नीति।
हर नागरिक का हो अधिकार, कोई न करे अन्याय,
भ्रष्टाचार और भेदभाव से हो दूर हमारी सब विचारधारा।

मिट जाएं तार-तार, दरारों का हो न अस्तित्व,
एकता का बढ़ाएं आदर्श, हो यह देश की प्रगति की प्रवृत्ति।
हम सब एक ही धरती के वासी, एक बच्चे की तरह हम सब,
समानता और अखंडता से हो देश की मजबूत नीव तब।

भारत में लागू होना चाहिए समान नागरिक सहिंता,
हर कोने में जले प्रेम का दीप, छा जाए सदा ज्योति विज्ञान की।
आओ मिलकर बढ़ाएं इस संकल्प की ताकत,
समानता और विश्वास के द्वार खोलें, यही हो हमारा परम लक्ष्य।

समान नागरिक सहिंता पर कविता

युनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

यह एक कानून है जो सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक सहिंता सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। इसका मुख्य उद्देश्य धर्म, जाति और लिंग के आधार पर होने वाले कानूनी विवेक में समानता स्थापित करना है। यह कोड सभी नागरिकों के व्यक्तिगत और सामाजिक अधिकारों, विवाह, तलाक, संपत्ति, उपासना, और परिवारिक मामलों के सम्बंध में एक सामान्य न्यायपूर्ण संरचना स्थापित करने का प्रयास करता है। इससे समान अधिकारों, न्यायपूर्णता और सामाजिक एकता का प्रोत्साहन होता है।