वक्त पर कवितावक्त जगाता है एक कवि को, अनकही कहानियों को सुनाता है। बीता हुआ कल लेकर आता है, आने वाले कल की आशा जगाता है।वक्त की गति है निर्दिष्ट और नितांत, हर लम्हे को उड़ा कर ले जाता है। धीरे-धीरे बदलती है सबकी ताकत, मनुष्य को अपनी कठिनाइयों से समझाता है।कितना भी समर्पण कर लो इसे, वक्त का पलटना नहीं रुकता है। कुछ बातों को जादूगरी समझो, वक्त ही लहरों को चुनता है।वक्त के आगे सब बादशाही फीकी है, माया-मोह की मोहर तोड़ता है। हर राजा और रंगीन सपनों को, ज़मीन पर उतराने को बुलाता है।जीवन की नींव वक्त पर खड़ी होती है, किस्मत की कश्ती उसी पर तैरती है। पलटे हुए दिनों की मिटटी में, स्वप्नों की उगाही दिखती है।वक्त की पंखों से हर ऊँचाई चूमो, उड़ान भरो और सपनों को पकड़ो। ज़िंदगी की मधुरता वक्त में छिपी है, उसे महसूस करो और उसे समझो।वक्त पर कविता