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तेजाजी महाराज कविता | Veer Tejaji Maharaj
गायें मीणा ले गये, एक घोर निराशा फैली थी,
उन चोरो की करतूतों से, मारवाड़ की सुचिता मेली थी।
तब एक-एक मीणों से, सम्मान हड़पना शुरू किया,
चोरों पर तेजल की तलवार ने, घनघोर उमड़ना शुरू किया।
जिन गायों को गूजरी ने, अपनी उंगलिया चटाई थी,
गौ माता को छुड़ाया वीर ने, जाटों की लाज बचाई थी।
लीलण पर सवार तेजाजी महाराज ने, कर में कृपाण को साध लिया,
भीषण निनाद गरजा तेज, बछड़ा भी लाकर बांध लिया।
वो थका नही वो रुका नही, अरिमर्दन करता जाता था,
अरु काट-काट मीणों को, हुंकारे भरता जाता था।
वो लीलण पर चढ़ा बढ़ा, यूँ लड़ा की ज्यूँ भीषण ज्वाला,
पर कर ना पाया राह पार, रास्ते में आया नाग काला।
तब घायल हुए तेजाजी महाराज पर, नागदेव ने वार किया,
वीरगति मिली तेजा को, गौ माँ का कर्ज उतार दिया
वो वीर पुरूष अमर हुआ, जनमानस में जिंदा है,
आज गौ हत्या रुकती नही, तेजाजी हम शर्मिंदा है।
मीणों से मिल गयी विजय मगर, नेताओं से हार गयी,
इन सरकारों की गद्दारी, हजारों गायें डकार गयी।
ओ तेजल अब लौट आए, ये गौ माता बच जाएगी,
इन्हें देखकर नही लगता, ये पीढ़ी कुछ कर पाएगी।