Hindi Kavita: अच्छा लगा – रामदरश मिश्र
आज फिर लौटा सलामत
राम कोई अवध में,
हो गया पूरा कड़ा
बनवास तो अच्छा लगा।
आज फिर लौटा सलामत
राम कोई अवध में,
हो गया पूरा कड़ा
बनवास तो अच्छा लगा।
सूर्य ढलता ही नहीं है – रामदरश मिश्र | Suraj Par Kavita चाहता हूँ, कुछ लिखूँ, पर कुछ निकलता ही नहीं हैदोस्त, भीतर आपके कोई विकलता ही नहीं है! आप बैठे हैं अंधेरे में लदे टूटे पलों सेबंद अपने में अकेले, दूर सारी हलचलों सेहैं जलाए जा रहे बिन तेल का दीपक निरन्तरचिड़चिड़ाकर कह रहे-…