बदलाव पर कविता
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बदलाव पर कविता – मैं क्यों खुद को बदलूँ

मैं, मैं हूँ
और सदा मैं ही रहूँ !

मैं क्यों खुद को बदलूँ ?
मेरी सोच मेरी है
जानता हूँ, ये खरी है !

Patriotic Poem in Hindi | स्वतंत्रता पर कविता हिंदी में
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भारत देश पर कविता | ये देश बनता है – सविता पाटिल

ये देश नही बनता केवल खेत-खलिहानों से
पहाड़ो से या मैदानों से
पठारों या रेगिस्तानों से
ये देश बनता है….
यहाँ बसते इंसानों से।

Chhoti si Kavita
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Chhoti si Kavita: हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है

हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है
मौन-सी लहरों में कुछ रहस्य जड़ा है
आसपास घूमते चेहरों में
एक किस्सा, अपनी एक दास्तां है
सभी एक सफर है
है कुछ न कुछ जो सभी ने सहा है
हर समंदर यहाँ सैलाब लिए खड़ा है।

परिवर्तन पर कविता
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परिवर्तन पर कविता: बदलाव करो निरंतर करो

बदलाव करो, निरंतर करो
पर उसमें कुछ बेहतर करो

बदलाव हो जो जीवन सरल करे
जड़ता को विरल करे

बदलाव अज्ञानता से ज्ञान का
मूढ़ता से विद्यावान का

तुझे जीना होगा
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तुझे जीना होगा – सविता पाटिल | हिंदी कविता

इन लम्हों को बीतने दे
जो प्रलय उठा है जीवन में उसे थमने दे
यहाँ कुछ भी तो शाश्वत नहीं
फिर किस बात से तू आश्वत नहीं

किसान पर कविता
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किसान पर कविता – कभी न करना अन्न दाता का अपमान

अन्न के कण-कण में होते है भगवान
कभी न करना अन्न दाता का अपमान
अन्न से ही जीवन की गति है चलती
शरीर को ताकत और ऊर्जा भी मिलती

स्वच्छ भारत अभियान
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स्वच्छ भारत अभियान पर कविता | Poem on Swachh Bharat

परमाणु शक्ति है देश हमारा,
दुनिया में हम प्रथम लोकतंत्र कहलायें
आबादी में हम दूसरा नंबर,
बहुतायत में हैं खनिज संपदाऐं

नरेन्द्र मोदी पर कविता
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नरेन्द्र मोदी पर कविता – मोदी जी के लिए अभिनंदन पत्र

साधु महात्माओं सी जीवन शैली,
हिमालय तपस्या का दिखता असर
कुछ घंटे ही आप सोते हैं,
खाना-पीना सिर्फ जरूरत भर

Raksha Bandhan Par Kavita
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Raksha Bandhan Par Kavita: उत्सव, पर्वों का देश हमारा

उत्सव, पर्वों का देश हमारा, हर सप्ताह मनाते हम त्यौहार 
पर जब आता है त्यौहार राखी का, भावनाओं का चढ़ता ज्वार

कृष्ण कविता
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कृष्ण कविता – कृष्ण के गीता ज्ञान से

बगैर गीता के भी हम जीवन जी रहे, शानदार दिन गुजर रहे
जरूरत कहां किसी भी ज्ञान की, कुत्ते तक अपना पेट भर रहे
मैं बात करूं अपने जैसों की तो, हमें जो करना था वह हम कर रहे