हंस वाहिनी, वाणी दायिनी मां शारदे, कर दे हम पर एहसान रे
ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे
साहित्य, संगीत, कला की देवी, तू वाणी की दाता मां
दुर्गा, लक्ष्मी का रूप तू ही मां, जीवन साथी तेरे ब्रह्मा
तेरी ही अनुकंपा से माता, जन्मते तुलसी और रसखान रे
हंस वाहिनी, वाणी दायिनी मां शारदे, कर दे हम पर एहसान रे ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे
अनेक धर्म है, अनेक संस्कृति मां, अनेक हमारी भाषाएं
अनेक में भी एक हैं हम, मां तेरी हैं अनुकंपाएं
वाणी का तू ने वरदान दिया मां, पर वाणी ही हमारे कष्ट बढ़ाए
सोच हमारी बिगड़ गई माते, बिगड़े बोल जुबां पर आए
केकई, द्रौपदी की जिव्हा पर आ मां तूने, बड़े-बड़े कई युद्ध कराए
पर अब उतर तू कृष्ण सी जिव्हा पर, एक और ज्ञान गीता जग चाहे
वेदव्यास सी बुद्धि दे माता, विवेकानंद सा ज्ञान रे ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे
बसंत पंचमी है प्रकटोत्सव मां का, मनाता सारा हिंदुस्तान
शबरी की संपूर्ण हुई थी भक्ति, उनको आज मिले थे राम
पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने, आज के ही दिन दिया बलिदान
कवियों के अग्रज निराला भी जन्में आज ही, जिनको बनाया तूने महाप्राण
आज जन्मे राजा भोज सा प्रतापी, देश को फिर तू कर प्रदान रे ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे
शक्ति पाते हम मां दुर्गा से, करते उनकी भक्ति आराधना
धन की देवी मां लक्ष्मी पूरण करती वेभव साधना
पर बुद्धि, विवेक और ज्ञान बिना मां, अधूरी सारी कामना
सबको ध्याएं, तुझे भुलाएं, तभी कष्टों से होता सामना
धन की आसक्ति और तन की शक्ति से ज्यादा, बुद्धि की युक्ति आती काम रे
लक्ष्मी और दुर्गा से पहले, मां सरस्वती का हो सम्मान रे
संतुलन हो बल, बुद्धि और समृद्धि में, मिले फिर विश्व गुरु की पहचान रे
हंस वाहिनी, वाणी दायिनी मां शारदे, कर दे हम पे अहसान रे ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे