आओ सूरज को दिया दिखाएं, विवेकानंद पर कलम चलाएं
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रामधारी सिंह दिनकर कविताएं
1. जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे
2. आग की भीख
3. मनुष्य और सर्प
4. एक विलुप्त कविता
![कविता का हठ – हुंकार – रामधारी सिंह दिनकर](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2023/10/%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A4%A0--768x448.webp)
कविता का हठ – हुंकार – रामधारी सिंह दिनकर
“बिखरी लट, आँसू छलके, यह सुस्मित मुख क्यों दीन हुआ?
कविते! कह, क्यों सुषमाओं का विश्व आज श्री-हीन हुआ?
संध्या उतर पड़ी उपवन में? दिन-आलोक मलीन हुआ?
किस छाया में छिपी विभा? श्रृंगार किधर उड्डीन हुआ?
![दिनकर की देशभक्ति कविता – चूहे की दिल्ली यात्रा](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2023/08/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%AD%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%9A%E0%A5%82%E0%A4%B9%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE-768x448.webp)
दिनकर की देशभक्ति कविता – चूहे की दिल्ली यात्रा
चूहे ने यह कहा कि चूहिया! छाता और घड़ी दो,
लाया था जो बड़े सेठ के घर से, वह पगड़ी दो।
मटर-मूँग जो कुछ घर में है, वही सभी मिल खाना,
खबरदार, तुम लोग कभी बिल से बाहर मत आना!
![विपत्ति में विरोध में अडिग रहो अटल रहो | Ramdhari Singh Dinkar](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2024/03/Dinkar-Post-768x432.jpg.webp)
विपत्ति में विरोध में अडिग रहो अटल रहो | Ramdhari Singh Dinkar
विपत्ति में, विरोध में
अडिग रहो, अटल रहो,
विषम समय के चक्र में भी
साहसी प्रबल रहो।
![समर शेष है – रामधारी सिंह दिनकर](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2023/05/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7-%E0%A4%B9%E0%A5%88.jpg.webp)
समर शेष है – रामधारी सिंह दिनकर
ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो
किसने कहा, युद्ध की बेला गई, शान्ति से बोलो?
किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्नि के शर से
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से?
![Ramdhari Singh Dinkar Poems | रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2024/03/Dinkar-Post-768x432.jpg.webp)
Ramdhari Singh Dinkar Poems | रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविताएं
सामने देश माता का भव्य चरण है
जिह्वा पर जलता हुआ एक बस प्रण है
काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे
पीछे परन्तु सीमा से नहीं हटेंगे