आरएसएस का संदेश विशेष
हिंदू संस्कृति, हिंदू जागृति,
हिंदु उत्थान और हिंदुस्तान
आरएसएस पर्याय हिंदुत्व का,
भारतीयता को दिलाता पहचान
संख्या के आधार पर देखें तो,
सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान
60 लाख स्वयंसेवक संघ के,
भाव जगाते सैनिक समान
खाकी पतलून, सफेद शर्ट और डंडे से,
सजती स्वयंसेवक की गणवेश
आरएसएस का संदेश विशेष,
एक धर्म, एक ध्वज, एक देश
स्वतंत्रता पूर्व के आंदोलन में,
स्वतंत्रता का ही था मात्र विचार
पर स्वतंत्र भारत कैसा होगा,
चिंतित थे दूर दृष्टा हेडगेवार
स्वतंत्रता से बड़ा लक्ष्य था,
बचे रहें हिंदुत्व और सनातनी संस्कार
समानांतर संगठन खड़ा किया देश में,
समझ ना पाई अंग्रेज सरकार
हिंदुओं को मंच मिला आरएसएस गठन से,
बुद्धिजीवियों ने लिया स्वत: प्रवेश
आरएसएस का संदेश विशेष,
एक धर्म, एक ध्वज, एक देश
ये सुने :
स्वतंत्र भारत में आरएसएस ने,
बखूबी अपनी भूमिका निभाई
स्वयंसेवक रहे सदा ही आगे,
जब भी कोई आपदा आई
चीन, पाकिस्तान से युद्धों में,
स्वयंसेवक सैनिकों की बने परछाई
कारगिल, कोरोना से, बाढ़, भूकंप तक,
आरएसएस ने ही जिम्मेदारी उठाई
आज के भव्य राम मंदिर निर्माण में,
कई स्वयंसेवकों ने जान गवाई
अनेक सहयोगी संगठनों ने भी,
देश को दी एक नई ऊंचाई
प्रतिबंध भी लगाए कुछ सरकारों ने,
पर फिर से ससम्मान देना ही पड़ा प्रवेश
आरएसएस का संदेश विशेष,
एक धर्म, एक ध्वज, एक देश
आधुनिक प्रतिस्पर्धी युग में भी,
संघ में होता मात्र मनोनयन
100 साल में केवल 6 प्रमुख,
अचंभित होते हैं आमजन
कार्यकर्ता, प्रचारक, विचारक से संघ प्रमुख तक,
पार करना होता कई चरण
ना कोई वेतन ना कोई भत्ता,
शर्त सिर्फ संगठन को पूर्ण समर्पण
लाखों स्वयंसेवक अविवाहित रहकर भी,
राष्ट्र सर्वोपरि का देते संदेश
आरएसएस का संदेश विशेष,
एक धर्म, एक ध्वज, एक देश
आज ज्यादा आवश्यकता है संघ की,
हम अपनाएं संघीय संस्कार
मोदी जी के अथक प्रयासों से,
भारतीयता में रम रहा संसार
विकसित देशों की कतार में हम हैं,
अब नई पीढ़ी पर है दारोमदार
शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रवाद से,
हम नंबर एक के हैं हकदार
दुनिया की श्रेष्ठ अर्थव्यवस्थाओं में,
शीघ्र ही हम होंगे शुमार
सारी परिस्थितियां अनुकूल हैं,
अब रामराज्य हो हमारा उद्देश्य
आरएसएस का संदेश विशेष,
एक धर्म, एक ध्वज, एक देश
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