Harivansh rai bachchan ki rachnayeदेश-विभाजन – 1सुमति स्वदेश छोड़कर चली गई,ब्रिटेन-कूटनीति से छलि गई,अमीत, मीत; मीत, शत्रु-सा लगा,अखंड देश खंड-खंड हो गया।स्वतंत्रता प्रभात क्या यही-यही!कि रक्त से उषा भिगो रही मही,कि त्राहि-त्राहि शब्द से गगन जगा,जगी घृणा ममत्व-प्रेम सो गया।अजान आज बंधु-बंधु के लिए,पड़ोस-का, विदेश पर नज़र किए,रहें न खड्ग-हस्त किस प्रकार हम,विदेश है हमें चुनौतियां दिए,दुरंत युद्ध बीज आज बो गया।Patriotic kavitayen in hindiदेश-विभाजन – 2दिखे अगर कभी मकान में झरन,सयत्न मूँदते उसे प्रवीण जन,निचिंत बैठना बड़ा गँवारपन,कि जब समस्त देश में दरार हो।रहे न साथ एक साथ जब रहे,अलग, विरुद्ध पंथ आज तो गहे,यही मिलाप है कि राम मुँह कहे,मगर बग़ल छिपी हुई कटार हो।सुदूर शत्रु सेन साजने लगा,पड़ोस-का फ़िराक में कि दे दग़ा,कहीं अचेत ही न जाय तू ठगा,समय रहे स्वदेश होशियार हो।Patriotic kavitayen in hindiदेश-विभाजन – 3विदेश की कुनीति हो गई सफल,समस्त जाति की न काम दी अक़ल,सकी न भाँप एक चाल, एक छल,फ़रक़ हमें दिखा न फूल-शूल में।पहन प्रसून हार हम खड़े हुए,कि खार मौत के गले पड़े हुए,कृतज्ञ हम ब्रिटेन के बड़े हुए,कि वह हमें गया ढकेल भूल में।यही स्वतंत्रता-लता गया लगा,कि मुल्क ओर-छोर खून से रंगा,बिखेर बीज फूट के हुआ अलग,स्वदेश सर्व काल को गया ठगा,गरल गया उलीच नीच मूल में।ये भी देखें: 8 Best Harivansh rai bachchan poems in hindi माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना हैHarivansh rai bachchan ki rachnaye