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भारत देश पर कविता | ये देश बनता है – सविता पाटिल
ये देश नही बनता केवल खेत-खलिहानों से
पहाड़ो से या मैदानों से
पठारों या रेगिस्तानों से
ये देश बनता है….
यहाँ बसते इंसानों से।
Poem on Kargil Vijay Diwas in Hindi- उत्साह साथ आँखे नम
एक सूरज उगता है, नयी उम्मीद के संग,
हर ओर छा जाता है खुशियों रंग।
आज आ पड़ा वो दिन, वो खुशनुमा वक्त,
जो उत्साह के साथ कर देता है आँखे नम।
तुम तूफान समझ पाओगे? | हरिवंशराय बच्चन
गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता ‘हरहर’–इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?
Patriotic Poem in Hindi – मैं एक देशभक्त हूँ।
वतन की मिट्टी में जन्मा हूँ,
वतन के लिए जीना चाहता हूँ।
मेरा दिल है तिरंगे की भूमि,
वतन के लिए हर कठिनाई सहता हूँ।
आ रही रवि की सवारी – हरिवंश राय बच्चन
नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी।
बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर कविता – हरिवंश राय बच्चन
बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर,
क्यूंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।
मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।