Hariom Pawar Kavita | हरिओम पवार की कविता
1. घाटी के दिल की धड़कन,
2. काला धन,
3. मै मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ,
4. बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे
1. घाटी के दिल की धड़कन,
2. काला धन,
3. मै मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ,
4. बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे
1. जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे
2. आग की भीख
3. मनुष्य और सर्प
4. एक विलुप्त कविता
चल निकल प्रथस्त पथ पर,
इस धरती का अभिमान है तू।
हृदय भी दे दुआ जिसे देखकर,
उस मां की श्रवण कुमार है तू।
1. मन जहां डर से परे है
2. विपदाओं से रक्षा करो
3. रोना बेकार है
4. गर्मी की रातों में
मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी।
नंदन वन-सी फूल उठी
यह छोटी-सी कुटिया मेरी॥
प्रकृति में इसी समय,
नवीनता का होता सृजन
नव कपोलें उगती,
पुराने पत्तों का होता क्षरण..
मैं अनंत पथ में लिखती, मिटने का अधिकार,
कोयल, कहाँ रहेगी चिड़िया, जो तुम आ जाते हो एक बार, जब यह दीप थके तब आना
प्रकृति संदेश, काश ज़िंदगी एक किताब होती,
समय, मंजिल तुझे पाना है,
बचपन, मकान, हिंदी भाषा,
नीला रंग, रिश्ता, जानवरो पर संकट
आँचल बुनते रह जाओगे,
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है,
आदमी का आकाश,
ज़िंदगी एक रस, तन बचाने चले थे
1. अब तो पथ यही है, 2. धर्म,
3. तीन दोस्त, 4. आग जलती रहे,
5. कौन यहाँ आया था,
6. वो आदमी नहीं है मुकम्मल..