वीर नारी पर कविता – नारी तू प्रयास कर | प्रणिता मेश्राम

वीर नारी पर कविता – नारी तू प्रयास कर

वीर नारी पर कविता - नारी तू प्रयास कर

चल निकल प्रथस्त पथ पर,

इस धरती का अभिमान है तू।

हृदय भी दे दुआ जिसे देखकर,

उस मां की श्रवण कुमार है तू।

आज समय भी तुझे

अपनी गति से माप रहा है,

हो आलोकित जिसके आँगन में

वो भी तेरा रस्ता ताँक रहा है,

विश्व विजय का संकल्प लेकर

तुझको आगे बढ़ना होगा,

ऐ नारी! हो संकल्पित तुझको आज,

नवयुवकों की दिशा बदलना होगा।

आज तुझे गुरूर है, अपने स्वाभिमान पर

तेरा भविष्य तू देख ले

जिससे समय भी हताश है,

दिखा दे उस मुल्क को,

वो क्यूं तुझसे निराश है?

हाँ इस मुल्क को भी तेरी ही तलाश है।

बढा ले उन कदमों को,

जिसके नीचे हीरे सा प्रकाश है।

तू कमजोर नहीं है, जो

अपने वक्त को यूं गवायेगी।

तेरी हिम्मत जब पूरा देश बनेगा,

तब तू सबका स्वाभिमान कहलायेगी।

हर वो आहाट

जो क्रूरता से तुझे डरायेगी,

तेरे कट्टर स्वाभिमान पर

आघात करायेगी,

तब तुझे निडर होकर

नया आगाज करना होगा,

ऐ नारी! तुझे फिर से

नया इतिहास रचना होगा।

न सोच तेरी राहों में

कितनी मुश्किलें आयेगीं,

हर बेटी की मंजिल ही

उसे रास्ता दिखलायेगी।

जब देश की हर बेटी

तेरे नाम से जानी जायेगी,

तब नारी द्रोपदी, सीता या मीरा नही,

वो इस देश की रक्षक कहलायेगी।

तब आने वाली पीढ़ी में

उसकी ही मिसालें होगी,

उसका वस्त्र बेडियाँ नहीं,

तलवारे और ढ़ालें होगी।

यूं निरर्थक बैठकर,

क्या है जो मिल जायेगा।

नारी तू प्रयास कर,

परिणाम जल्द ही आयेगा।

मुझे उम्मीद है तुम इस मुल्क में

बदलाव जरूर लाओगी,

तुम इस पीढ़ी की रक्षक

और वीर ज्वाला बन जाओगी,

उस दिन अपनी मां से कहना

मैं इस देश की बेटी हूँ,

कल तक सिर्फ तेरी थी मैं माँ,

आज पूरे देश की हूँ।

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