मनुष्य के तीन प्रकार – हिंदी कविता
घटिया होते हैं वो लोग,
जो करते हैं सिर्फ लोगों की बात
खुद की प्रशंसा और दूसरों की बुराई मे,
खपाते अपने दिन और रात
घटिया होते हैं वो लोग,
जो करते हैं सिर्फ लोगों की बात
खुद की प्रशंसा और दूसरों की बुराई मे,
खपाते अपने दिन और रात
त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण,
कलयुग में कबीर और विवेकानंद
महापुरुष जन्म लेते हैं सदियों में,
सदियों तक रहती उनकी सुगंध
19वीं सदी ऋणी स्वामी जी की,
जिनने अध्यात्म का मिटाया अंतर्द्वंद
कुछ लोग होते हैं,
जो महान होते हैं,
महात्मा कहलाते हैं
कुछ लोग होते हैं,
जो पवित्र होते हैं
33 करोड़ देवता हमारे,
पूजन अर्चन का है विधान
हमारी संस्कृति, साहित्य और सनातन परंपरा में,
महापुरुष भी रहे देव समान
वीर तेजाजी हैं बड़े देवता,
मानता है आधा लगभग हिंदुस्तान
विधाता ने बनाई दुनिया,
पर बाकी कुछ रखे बचा कर काम
रंगहीन दुनिया में रंग भरने को,
श्रमिक ही हैं दूसरे भगवान
याद करे हम उन्नीस सौ इकहत्तर,
सुलग रहा था पाकिस्तान का पूर्वोत्तर
आंतरिक मसला था पाकिस्तान का,
पर था हमारी सीमा से सट कर
देश के हृदय में स्थित, हम प्रदेश की महान आत्माएं
शांति का हम बड़ा उदाहरण, समृद्धि पर कदम हमारे बढ़ते जाएं
बीमारू प्रदेशों से आगे बढ़कर, अब हम विकसित राज्य कहलाएं
अपने आदमी से इंसान होने के प्रमाण में,
प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को लाने संज्ञान में,
हम संकल्पित हो मन, वचन और कर्म से,
सरकार के पॉलिथीन मुक्ती अभियान में
पॉलीथिन है दुश्मन प्रकृति का,
ना आप इससे बेखबर, ना ही इससे अनजान मैं
हर वर्ष दहन होता रावण,
पर अगले साल और बड़ा होता है
पहले शहर में एक जलता था,
अब हर मोहल्ले में खड़ा होता है
कौन जलाए, किस के फोटो आए,
यह प्रश्न बड़ा होता है
जिसमें रत्ती भर भी नहीं अंश राम का,
सिर्फ खोल चढ़ा होता है
क्यों न सजा हो मारने से ज्यादा तड़पाने की – कविता दुख सभी को होता है, किसी की निर्मम हत्या होने पर दुख होता है, पवित्र धारणाओं के मिथ्या होने पर दुख होता है, चोरी, डकैती, आतंकी घटनाओं पर पर दुख ज्यादा होता है, पाशविक, क्रूर जघन्यताओं पर दोषी को सजा भी मिलती है, पर…