महाराणा प्रताप कविता

महाराणा प्रताप कविता- बस नाम ही काफी है

ना कोई संज्ञा, ना सर्वनाम,
ना विशेषण का ही कोई काम
बस आन, बान और शान बोल दें,
या पुकारें राजस्थान
कई, कई राजाओं, सम्राटों से ज्यादा,
जिसके घोड़े का भी हो सम्मान
शोर्य, स्वतंत्रता और स्वाभिमान जेसे शब्दों से,
एक ही महामानव का आता ध्यान
जिनके भाले, कवच और तलवार से,
सजती भारत की झांकी है
महाराणा प्रताप बस नाम ही काफी है

राम के पुत्र महाराज लव ने,
बसाया था कभी लाहौर
इसी सूर्यवंश में जन्मे,
सभी राजाओं के कई सिरमोर
बप्पा रावल, राणा हमीर और राणा कुम्भा,
बहादुरी में रहे बेजोड़
मेवाड़ क्षेत्र में इन सबके,
गीत चलते थे हर और
राणा सांगा के बाद तो जैसे,
दुनिया में गूंज गया चित्तौड़
मई माह में जन्मा उन्ही का पोता,
तपते सूर्य सा जो लगता प्रतापी है
महाराणा प्रताप बस नाम ही काफी है

अपनी कुटिल नीतियों के चलते
अकबर बना हुआ था महान
क्षत्राणियों से विवाह रचाकर,
राजपूतों को बना रखा था गुलाम
पर प्रताप बने थे अलग मिट्टी के,
जीवन भर करते रहे संग्राम
घास की रोटी खाकर भी,
मुगलों का जीना किया हराम,
भामाशाह और भीलों के सहयोग से,
घाटी विजय को दिया अंजाम
पशु चेतक का शोर्य, समर्पण और स्वामी भक्ति देखकर तो,
भाई शक्ति की भी सोई आत्मा जागी है
महाराणा प्रताप बस नाम ही काफी है

सर कटते थे, धड़ लड़ते थे,
सेना का ऐसा प्रतापी कौशल था
मुट्ठी भर सैनिक जीते, विशाल लश्कर से,
प्रताप का आत्मबल प्रबल था
रानी पद्मावती,पन्नाधाय और मीरा मां के,
संचित पुण्यों का यह फल था
सोने की थाली, और सैया रुई वाली,
त्यागने का संकल्प विरल था
सच में थे राम के वंशज,
चरित्र और शोर्य उतना ही उज्जवल था
जीवन भर जंगलों में भटक कर भी,
अकबर से ज्यादा जिसकी ख्याती है
महाराणा प्रताप बस नाम ही काफी है

सदियों में आता ऐसा व्यक्तित्व,
जो पुरुषों में लगता पुरुषोत्तम
राम के बाद उन्हीं का वंशज,
अद्भुत जिसका पराक्रम
सच्चा राष्ट्रवादी था वह,
भीलों को तक जिसने बनाया हमदम
निष्कंटक राज चला सकते थे,
पर स्वीकारा नहीं मुगलिया परचम
अकबर भी रो दिया मृत्यु की सुनकर,
निश्चित ही महाराणा थे वह अनुपम
पद्मावती, पन्नाधाय और मीराबाई,
जिस कुल की चमक और बढ़ाती हैं
महाराणा प्रताप बस नाम ही काफी है

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