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सुरंग में फंसे मजदूरों की व्यथा – मजदूर पर कविता
अब तो निकालिए सुरंग से मुझको,
मुझे अपने घर जाना है
किया था जो वादा परिवार से,
वह वादा निभाना है
निभाना है फर्ज बेटे का,
कर्ज पिता का मुझे चुकाना है

भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार – कविता
कोरोना की होगी निश्चित हार शुभ ही शुभ घटता प्रकृति में, शुभ प्रकृति का, स्थायी व्यवहार। शुभ के लिए ही जन्मते धर्म, शुभ के लिए ही होते अवतार। सनातन धर्म है शुभ सदा से, विज्ञान को हमने माना आधार। शुभ संस्कृति में रहा समाहित, जिससे शुद्ध रहे आचार विचार। शुभ, शुद्ध और संयम का संतुलन,…

जन्मे आप तो भयावह रात थी – Poem on Krishna in Hindi
सतयुग, द्वापर, त्रेता बीता,
चल रहा है कलयुग का काल
शुरुआत ही है कलिकाल की,
चलना और हजारों साल
घर-घर कंश है दर-दर दुर्योधन,
एक नही पर गिरधर गोपाल

नरेन्द्र मोदी पर कविता – मोदी जी के लिए अभिनंदन पत्र
साधु महात्माओं सी जीवन शैली,
हिमालय तपस्या का दिखता असर
कुछ घंटे ही आप सोते हैं,
खाना-पीना सिर्फ जरूरत भर

गणेश जी पर कविता – हे देवों के देव गणेश
मेल के भेल से निर्मित,
हाथी का पाया विशाल आकार
शून्य से शिखर पर पहुंचे,
शिव गणों के बने सरदार

मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर कविता | Shree Ram Par Kavita
कंकर-कंकर, शंकर जहां पर,
कण-कण में है भगवान,
है राम से राम-राम तक,
श्वाश-श्वाश में बसते राम