सच है

सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

यह सच है-
तुमने जो दिया दान दान वह,
हिन्दी के हित का अभिमान वह,
जनता का जन-ताका ज्ञान वह,
सच्चा कल्याण वह अथच है–
यह सच है!

बार बार हार हार मैं गया,
खोजा जो हार क्षार में नया,
उड़ी धूल, तन सारा भर गया,
नहीं फूल, जीवन अविकच है–
यह सच है!

भिक्षुक – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

सच है – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
 

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