हे भारत के राम जगो - आशुतोष राणा

हे भारत के राम जगो

हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हें जगाने आया हूं,
सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूं
सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में,
आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में

खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर, आज तुम्हें ललकार रही,
सोये सिंह जगो भारत के, माता तुम्हें पुकार रही
रण की भेरी बज रही, उठो मोह निद्रा त्यागो,
पहला शीष चढाने वाले, मां के वीर पुत्र जागो

बलिदानों के वज्रदंड पर, देशभक्त की ध्वजा जगे,
और रण के कंकण पहने है, वो राष्ट्रभक्त की भुजा जगे…
अग्नि पंथ के पंथी जागो, शीष हथेली पर धरकर,
जागो रक्त के भक्त लाडले, जागो सिर के सौदागर

खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा,
और रक्त बीज का रक्त चाटने, वाली जागे चामुंडा
नर मुंडों की माला वाला, जगे कपाली कैलाशी,
रण की चंडी घर- घर नाचे, मौत कहे प्यासी-प्यासी

रावण का वध स्वयं करूंगा, कहने वाला राम जगे,
और कौरव शेष न एक बचेगा, कहने वाला श्याम जगे
परशुराम का परशु जगे, रघुनन्दन का बाण जगे,
यदुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष महान जगे

चोटी वाला चाणक्य जागे, पौरुष का पुरष महान जगे,
और सेल्यूकस को कसने वाला, चन्द्रगुप्त बलवान जगे
हठी हमीर जगे जिसने, झुकना कभी नहीं जाना,
जगे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना

देशभक्ति का जीवित झंडा, आजादी का दीवाना,
और वह प्रताप का सिंह जगे, वो हल्दी घाटी का राणा
दक्खिन वाला जगे शिवाजी, खून शाहजी का ताजा,
मरने की हठ ठाना करते, विकट मराठो के राजा

छत्रसाल बुंदेला जागे, पंजाबी कृपाण जगे,
दो दिन जिया शेर के माफिक, वो टीपू सुल्तान जगे
कनवाहे का जगे मोर्चा, जगे झाँसी की रानी,
अहमदशाह जगे लखनऊ का, जगे कुंवर सिंह बलिदानी

कलवाहे का जगे मोर्चा, पानीपत मैदान जगे,
जगे भगत सिंह की फांसी, राजगुरु के प्राण जगे
जिसकी छोटी सी लकुटी से, संगीने भी हार गयी,
हिटलर को जीता वे फौजें, सात समुन्दर पार गयी

मानवता का प्राण जगे, और भारत का अभिमान जगे,
उस लकुटि और लंगोटी वाले, बापू का बलिदान जगे
आजादी की दुल्हन को जो, सबसे पहले चूम गया,
स्वयं कफ़न की गाँठ बाँधकर, सातों भांवर घूम गया

उस सुभाष की शान जगे, उस सुभाष की आन जगे,
ये भारत देश महान जगे, ये भारत की संतान जगे
क्या कहते हो मेरे भारत से चीनी टकराएंगे?
अरे चीनी को तो हम पानी में घोल-घोल पी जाएंगे

वह बर्बर था वह अशुद्ध था, हमने उनको शुद्ध किया,
हमने उनको बुद्ध दिया था, उसने हमको युद्ध दिया
आज बंधा है कफ़न शीष पर, जिसको आना है आ जाओ,
चाओ-माओ चीनी-मीनी, जिसमें दम हो टकराओ

जिसके रण से बनता है, रण का केसरिया बाना,
ओ कश्मीर हड़पने वालों, कान खोल सुनते जाना…
भारत के केसर की कीमत तो केवल सर है,
कोहिनूर की कीमत जूते पांच अजर अमर हैं

रण के खेतो में जब छायेगा, अमर मृत्यु का सन्नाटा,
लाशो की जब रोटी होंगी, और बारूदों का आटा
सन-सन करते वीर चलेंगे, जो बामी से फन वाला,
फिर चाहे रावलपिंडी वाले हो, या हो पेकिंग वाला

जो हमसे टकराएगा, वो चूर चूर हो जायेगा,
इस मिटटी को छूने वाला, मिटटी में मिल जायेगा
मैं घर घर में इन्कलाब की, आग लगाने आया हूं,
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं

ये भी देखें:  भारत तेरा स्वाभिमान है राम

हे भारत के राम जगो | आशुतोष राणा

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