मर्यादा पुरुषोत्तम राम पर कविता – Shree Ram Par Kavita
कंकर-कंकर, शंकर जहां पर, कण-कण में है भगवान है राम से राम-राम तक, श्वाश-श्वाश में बसते राम… भारत तेरा स्वाभिमान है राम
युग बदले सदियाँ बीती, बढ़ती जाती नाम से प्रीती बिन तुम्हारे दुनिया रीती, नाम सहारे विपदा जीती सारी विपदाओं का समाधान… भारत तेरा स्वाभिमान है राम
मर्यादा की अंतिम सीमा, लेश मात्र भी कही कमी ना सगे संबंधी या कुल हीना, सम्मान सभी को बढ़कर दीन्हा केवट, जटायु या सबरी तक को, जिसने किया प्रणाम… भारत तेरा स्वाभिमान है राम
लंका छोड़ विभीषण आये, आते ही लंकेश संबोधन पाये जामवंत ने प्रश्न उठाये, क्या हो रावण भी शरण में आये तब अयोध्या मेरी खाली है, तत्क्षण बोले राम… भारत तेरा स्वाभिमान है राम
राम की मर्यादा सीता का चरित्र, एक अंश भी गर जाये उतर खुशहाली का बने यह मंजर, मुश्किल नही फिर स्वर्ग धरती पर आदर्श हमारे हो रामायण से, बच्चे परिचित हो परायण से पाठ्य पुस्तकों के प्रथम पाठ में, प्रथम नाम हो राम… भारत तेरा स्वाभिमान है राम
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