आत्मविश्वास पर कविता: जब अंधकार सब को घेर रहा हो

आत्मविश्वास पर कविता

आत्मविश्वास पर कविता

जगमगाती रात की गहराइयों में,
जब अंधकार सब को घेर रहा हो,
आत्मविश्वास की दीप्ति जगमगाए,
खुद को स्वीकार करो और सफर करो।
यकीन रखो अपने अपार प्रतिभा में,
किंचित भी संदेह न हो इसमें।
तुम तारों की तरह चमकते हो,
विश्वास रखो, खुद को तारा समझो।
जीवन की लहरों में डूबते रहो,
अपनी दिशा से हटकर ना जाना।
आगे बढ़ो, सपनों की उड़ान भरो,
आत्मविश्वास से महके यही प्यारा जहान।
आत्मविश्वास ही है तुम्हारा शक्ति का स्रोत,
जगाओ उसे और अपना रंग चढ़ाओ।
कितना भी मुश्किल लगे, डरे नहीं,
तुम विजय की ओर सदैव कदम बढ़ाओ।
तुम एक अद्भुत अभिनय करते हो,
जीवन के संघर्षों में हंसते हो।
आत्मविश्वास के बादल बनकर उठो,
मुस्कान फैलाओ, खुद को जीने दो।
आत्मविश्वास पर कविता

3 thoughts on “आत्मविश्वास पर कविता: जब अंधकार सब को घेर रहा हो”

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