गणेश जी पर कविता
हरा भरा हो जब धरा का आवरण,
तब होता गणेश अवतरण
वर्षा का अंतिम चरण,
सुखमय होता वातावरण
हरियाली और खुशहाली से,
प्रफुल्लित होता सबका मन
दस दिवसीय यह उत्सव,
प्रसन्नता का बनता कारण
सामाजिक समरसता का, दिखता परिवेश
हे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेश
मेल के भेल से निर्मित,
हाथी का पाया विशाल आकार
शून्य से शिखर पर पहुंचे,
शिव गणों के बने सरदार
छोटे बड़े का भेद मिटाने,
चूहे पर सांकेतिक हुऐ सवार
सबसे बड़े हैं खानदानी दुनिया में,
पूरा परिवार ही सुपरस्टार
शंकर पार्वती विश्व वंदनीय तो,
कार्तिकेय का देवों में बड़ा किरदार
रिद्धि सिद्धि दोनों पत्नियों को,
सुख के खातिर पूजता संसार
लाभ क्षेम है 2 पुत्र आपके,
प्राप्त की रक्षा का जिन पर भार
मंगलकारी है नाम इन सब के,
शुभ घड़ी में लिखते द्वार द्वार
एक से बढ़कर एक चरित्र,
जीव कल्याण है सब का उद्देश्य
हे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेश
गणेश जी पर कविता
चित्र चरित्र और चिन्तन गणेश का,
समाज को देते बड़ा पैगाम
पृथ्वी परिक्रमा की जीत कर स्पर्धा,
शिव से प्रथम पूज्य का पाया वरदान
अन्य को भी सुने पूर्ण ध्यान से,
प्रचारित करते आपके कान
छोटी छोटी दो आँखें सूक्ष्म,
तीक्ष्ण दृष्टि का करती बखान
लंबी सूंड दर्शाती है,
दुर्लभ अवसरों को पहले पहचान
चूहा जैसा छोटा वाहन मतलब,
भावनाओं और वासनाओं पर लगे लगाम
आनंद का प्रतीक मोदक हाथ में,
मतलब हम शांति स्वरूप हो और देदीप्यमान
बप्पा का मतलब है अपना सा,
मराठी ने दिया यह उपनाम
बल बुद्धि और विद्या का,
हमारे जीवन में भी हो प्रवेश
हे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेश
चतुर्थी से चौदस तक यह पावन पर्व,
पूर्ण उत्साह से मनाता देश
पर चरम पर होती भक्ति की आसक्ति,
जावे यदि हम महाराष्ट्र प्रदेश
गणेशोत्सव का प्रारंभ किया पेसवाओं ने,
तिलक ने दिया नूतन परिवेश
गणेशोत्सव बना सार्वजनिक महोत्सव,
स्वतंत्रोत्सव का दिया संदेश
विखंडित समाज हुआ संगठित,
हर वर्ग का हुआ आसान प्रवेश
संत मोरिया की भक्ति से प्रसन्न गणेश ने,
उनका भी स्वयं में किया समावेश
अनंत चतुर्दशी को विसर्जित करते,
अभी भी अनंत सूत्र का चलन शेष
कृष्ण ही है अनंत भी,
उनका ही है यह त्यौहार विशेष
केमिकल प्रयोग से मुक्त हो प्रतिमा,
यही चाहते पीएम हमारे, यही चाहता पूरा देश
सर्वाधिक पावन है मिट्टी भारत की,
मिट्टी से ही निर्मित हो गणेश
और भी जो कुछ हो सकता है अच्छा,
उसका भी करें श्री गणेश
सकारात्मक रखें सोच स्वयं की,
सहायक होंगे ब्रह्मा, विष्णु और महेश
हे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेश
ये भी देखें – शिव पर कविता
गणेश जी पर कविता