सरस्वती वंदना कविता
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सरस्वती वंदना कविता – हंस वाहिनी वाणी दायिनी

सोच हमारी बिगड़ गई माते, बिगड़े बोल जुबां पर आए
केकई, द्रौपदी की जिव्हा पर आ मां तूने, बड़े-बड़े कई युद्ध कराए
पर अब उतर तू कृष्ण सी जिव्हा पर, एक और ज्ञान गीता जग चाहे
वेदव्यास सी बुद्धि दे माता, विवेकानंद सा ज्ञान रे

स्वच्छ भारत अभियान
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स्वच्छ भारत अभियान पर कविता | Poem on Swachh Bharat

परमाणु शक्ति है देश हमारा,
दुनिया में हम प्रथम लोकतंत्र कहलायें
आबादी में हम दूसरा नंबर,
बहुतायत में हैं खनिज संपदाऐं

नरेन्द्र मोदी पर कविता
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नरेन्द्र मोदी पर कविता – मोदी जी के लिए अभिनंदन पत्र

साधु महात्माओं सी जीवन शैली,
हिमालय तपस्या का दिखता असर
कुछ घंटे ही आप सोते हैं,
खाना-पीना सिर्फ जरूरत भर

Raksha Bandhan Par Kavita
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Raksha Bandhan Par Kavita: उत्सव, पर्वों का देश हमारा

उत्सव, पर्वों का देश हमारा, हर सप्ताह मनाते हम त्यौहार 
पर जब आता है त्यौहार राखी का, भावनाओं का चढ़ता ज्वार

कृष्ण कविता
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कृष्ण कविता – कृष्ण के गीता ज्ञान से

बगैर गीता के भी हम जीवन जी रहे, शानदार दिन गुजर रहे
जरूरत कहां किसी भी ज्ञान की, कुत्ते तक अपना पेट भर रहे
मैं बात करूं अपने जैसों की तो, हमें जो करना था वह हम कर रहे

मनुष्य के तीन प्रकार
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मनुष्य के तीन प्रकार – हिंदी कविता

घटिया होते हैं वो लोग,
जो करते हैं सिर्फ लोगों की बात
खुद की प्रशंसा और दूसरों की बुराई मे,
खपाते अपने दिन और रात

Poem on Swami Vivekananda in Hindi
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Poem on Swami Vivekananda in Hindi – विवेकानंद पर कलम चलाएं

त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण,
कलयुग में कबीर और विवेकानंद
महापुरुष जन्म लेते हैं सदियों में,
सदियों तक रहती उनकी सुगंध
19वीं सदी ऋणी स्वामी जी की,
जिनने अध्यात्म का मिटाया अंतर्द्वंद

मदन मोहन मालवीय जी पर कविता - Madan Mohan Malviya
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मदन मोहन मालवीय जी पर कविता – एक अकेले मदन मोहन | Madan Mohan Malviya

कुछ लोग होते हैं,
जो महान होते हैं,
महात्मा कहलाते हैं
कुछ लोग होते हैं,
जो पवित्र होते हैं

वीर तेजाजी महाराज
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वीर तेजाजी महाराज – हिंदी कविता | तेजाजी महाराज की कथा

33 करोड़ देवता हमारे,
पूजन अर्चन का है विधान
हमारी संस्कृति, साहित्य और सनातन परंपरा में,
महापुरुष भी रहे देव समान
वीर तेजाजी हैं बड़े देवता,
मानता है आधा लगभग हिंदुस्तान

मेहनतकश पर कविता | मजदूर दिवस
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मेहनतकश पर कविता | मजदूर दिवस

विधाता ने बनाई दुनिया,
पर बाकी कुछ रखे बचा कर काम
रंगहीन दुनिया में रंग भरने को,
श्रमिक ही हैं दूसरे भगवान