Kavita Dunia (Original)

विश्वकर्मा जी पर कविता

विश्वकर्मा जी पर कविता | भगवान विश्वकर्मा जयंती

सतयुग में स्वर्ग लोक बनाया,
त्रेता में किया लंका निर्माण
द्वापर में द्वारिका तो 
कलयुग में इंद्रप्रस्थ को दिया अंजाम 
पुरी में भी बनाया मंदिर, 
जिसमें विराजित कृष्ण, सुभद्रा और बलराम 

राम मंदिर पर कविता

राम मंदिर पर कविता – आखिर अयोध्या हुई राम की

राम इस देश के है,
ये देश राम का है
राममय है जीवन हमारा,
यह सामाजिक परिवेश राम का है
दिन की शुरुआत राम-राम से,
जीवन का अंत राम-नाम से
जो कुछ भी हम बन पाये अब तक,
यह अनुग्रह सर्वेश राम का है

शिक्षक पर कविता

शिक्षक पर कविता – निर्माण और विध्वंस गोद में पलते हैं शिक्षक के

शिक्षकों पर निर्भर है दुनिया,
शिक्षक बढ़ाते देश का मान
भौतिकता पर नैतिकता का अंकुश,
शिक्षक ही रखते महावत समान
पादरी चलाते देश कहीं तो,
कहीं मूल्ला रखते हाथ में कमान
जैसी जिसकी शिक्षा वेसा,
देश उनका उतना बनता महान

पितृ पक्ष

पितृ पक्ष: मैं मानता हूँ पितृ पक्ष पवित्र है | हिंदी कविता

मुझे ना कर्मकांड याद है, 
न धार्मिक विधि-विधान याद है
पितरों की पूजन का समय क्या,
नियम क्या, यह सब मुझे नहीं याद है
हर समय उचित पितृ पूजन का, 
मेरी तो सब से यही फरियाद है
हमारी हर सफलता के पीछे, 

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