विश्वकर्मा जी पर कविता | भगवान विश्वकर्मा जयंती

विश्वकर्मा जी पर कविता

विश्वकर्मा जी पर कविता

विधाता ने बनाई दुनिया,
पर बाकी कुछ रखे बचा कर काम
रंगहीन दुनिया में रंग भरने को,
स्वयं जन्मे प्रजापति विश्वकर्मा भगवान
अंगिरा पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना की,
माने जाते आप संतान
ब्रह्मा, विष्णु, महेश के सदृश्य आपको भी,
भगवान स्वीकारते वेद पुराण
 
पूजा पर्व है 16 सितंबर आपका,
पर गलती से जयंती मानते हम अनजान
संकल्प दिवस के रूप में भी यह दिवस मनाते,
देश के सारे इंजीनियरिंग संस्थान
संकल्प दिवस में ही समाहित है नारा,
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान
मई दिवस और गोवर्धन पूजा पर भी,
पूजे जाते विश्वकर्मा भगवान
 
अभूतपूर्व देवीय सृजन से आपने,
चारों युगों पर किया एहसान
सतयुग में स्वर्ग लोक बनाया,
त्रेता में किया लंका निर्माण
द्वापर में द्वारिका तो
कलयुग में इंद्रप्रस्थ को दिया अंजाम
पुरी में भी बनाया मंदिर,
जिसमें विराजित कृष्ण, सुभद्रा और बलराम
 
सृजन और निर्माण की यही प्रेरणा,
उद्यमशीलता को देती सम्मान
अपनी व राष्ट्र समृद्धि के लिए,
पूजन अर्चन का हे सारा विधान
सारे मजदूर संगठन भी देश के,
विश्वकर्मा जी को ही करते प्रणाम
 
दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का भारतीय मजदूर संघ,
सबसे बड़ा है देश में नाम
श्रमिकों के लिए श्रमिकों द्वारा संचालित यह संगठन,
देश हित में करता है काम
दुनिया के मजदूरों एक हो से आगे बढ़कर,
दुनिया को एक करो का देता पैगाम
 
हम भी रंगीन बनाएं दुनिया को,
तन, मन, धन अपना करके कुर्बान
निर्माण नहीं तो अन्य सृजन से,
विश्वकर्मा जी को करें प्रणाम
नियत कर्म करें निष्ठा से,
बनाए अपने को कर्म प्रधान
रंगीन हो सकती दुनिया वृक्षारोपण से
या पॉलिथीन मुक्ति का चलाएं अभियान
 
नशा मुक्ति और स्वच्छ भारत से जुड़ कर,
जीवन बनाएं ज्यादा आसान
प्रयास करें हम अपने स्तर पर,
सहायक होंगे स्वयं विश्वकर्मा भगवान
विश्वकर्मा जयंती की आप सभी को
बहुत-बहुत शुभकामनाएं श्रीमान
 
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                    गणेश जी पर कविता                    
विश्वकर्मा जी पर कविता

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