महाकुंभ 2025: महाकुंभ पर कविता
प्रयागराज, उज्जैनी, नासिक और हरिद्वार
बारह साल के अंतराल में,
कुंभ मेले लगते एक बार
पर प्रयागराज के इस महाकुंभ ने,
प्रयागराज, उज्जैनी, नासिक और हरिद्वार
बारह साल के अंतराल में,
कुंभ मेले लगते एक बार
पर प्रयागराज के इस महाकुंभ ने,
जनवरी में नए जन्म
की माने शुरुआत
फरवरी में फलें
फूलें आप दिन रात
सर्दी हो गई बेदर्दी
ना दिखाएं जवांमर्दी
दो के पहाड़े जैसी सीधी
आज बन गई 29 का पहाड़ा
अखंड भारत का सपना,
चाणक्य ने कभी सजाया था
चंद्रगुप्त के माध्यम से,
भारत भव्य विशाल बनाया था
भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए
शासन प्रशासन में अनैतिक कोई अनुबंध ना हो
स्वतंत्र तो हो गए हम 47 में,
पर स्वतंत्र का मतलब स्वच्छंद ना हो
मां की तस्वीर नहीं रखता
कमरे में मैं
वह बसती है यादों में मेरे
आंखों से बहती सांझ सबेरे
त्योहारों का देश हमारा
होली हमारा बड़ा त्यौहार
बजट बिगड़ जाता त्योहारों में
पर बिना बजट का यह त्यौहार
CAA का मतलब है,
Citizenship Amendment Act.
हजारो शरणार्थी है भारत में,
दशकों से था जिनको वेट Ι
फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी,
महाशिवरात्री का महात्योहार
सृष्टि का आरम्भ अग्नि लिंग से,
जो महादेव का असीम आकार
राम अयोध्या वापस आए
दुनिया फिर दिवाली मनाएं
गांव गली हर घर मोहल्ला
राम हनुमान के ध्वज फहराये
मंदिर मंदिर उल्लास भया