मदन मोहन मालवीय जी पर कविता |
मदन मोहन मालवीय जी पर कविता
कुछ लोग होते हैं, जो महान होते हैं, महात्मा कहलाते हैं,
कुछ लोग होते हैं, जो पवित्र होते हैं, शुद्धात्मा कहलाते हैं
कुछ लोग होते हैं देवतुल्य, जो देवात्मा कहलाते हैं
पर महामना हैं केवल एक, जहां अनेक में एक पुण्यात्मा हम पाते हैं
न पहले ना बाद में किसी का, महामना उपाधि से हुआ मनोनयन
एक अकेले मदन मोहन
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The Life and Times of Pt. Madan Mohan Malviya |
25 दिसंबर है दिवस ईशा का, दुनिया मानती यह पावन त्यौहार
एक और महामानव अटल जी का, यह दिवस करता इंतजार
इन दोनों महान आत्माओं के दिवस पर ही, महामना ने लिया अवतार
कुछ तो बात है 25 दिसंबर में, दिवस एक, पर तीन हम पर किए उपकार
हम याद करें तीनों को, तीनों ही है पवित्र संबोधन
पर एक अकेले मदन मोहन
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Bharat Ratna Pt. Madan Mohan Malviya |
आज बात सिर्फ महामना की, जिन के कार्यो ने उन्हें बनाया महान
एक जन्म में जितनी उपलब्धियां, असंभव गिनाना सबके नाम
वकील, राजनेता, पत्रकार, कवि, समाज सुधारक, यानि काम अनेक, अकेली जान
कई समाचार पत्रों का संपादन, कई संस्थाओं की स्थापना और मातृभाषा के उत्थान में योगदान
एक जन्म में ही जी गये दर्जनों जीवन
एक अकेले मदन मोहन
कदम मिलाकर चलना होगा – अटल बिहारी वाजपेयी
मुश्किल है बयां करना, महामना के सारे काम
फिर भी कुछ महत्वपूर्ण कामों का, क्रमशः मै करता हूं बखान
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना, युवाओं को साबित हुआ वरदान
हिंदी, हिंदू और हिंदुस्तान के गौरव ज्ञान से, बढ़ाया उनका आत्मसम्मान
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए, भारतेंदु के बाद आता है नाम
“मकरंद” नाम से कविताएं लिखी राष्ट्र चेतना की, छिपाकर अंग्रेजों से अपनी पहचान
चार बार अध्यक्ष बनकर कांग्रेस का, कांग्रेस पर ही किया एहसान
प्रेरणादायी था जीवन आपका, अंतिम समय तक करते रहे व्यायाम
रौलट एक्ट के विरुद्ध 5 घंटे की बहस, खड़े होकर की अविराम
प्रति स्थापित किए कई संगठन देश में, जिन ने बढ़ाया देश का मान
हरिद्वार ऋषि कुल, गोरक्षा, बॉयज स्काउट और आयुर्वेद के संस्थान
स्वतंत्रता के बाद भी इन कार्यों का, किया जाता रहा अनुमोदन
एक अकेले मदन मोहन
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Bharat Ratna Pt. Madan Mohan Malviya Ne Sach Kaha |
सरकार समर्थक पायोनियर के विरुद्ध, लीडर नाम से निकाला अखबार
संपादन कर हिंदुस्तान पेपर का, राष्ट्रीय चेतना को दिया निखार
चोरी चोरा के असफल अवसाद को मिटाने, देशभर में घूमे लगातार
केस लड़े चोरी चोरा अभियुक्तों का, 170 को फांसी चाहती थी अंग्रेज सरकार
151 को बरी करा कर, दुनिया को दिखाई वकालत की धार
कट्टर हिंदू थे पर छुआछूत विरोध में, अंध सवर्णों से भी हुई तकरार
जितनी भी थी कुप्रथाऐं देश में, सब पर बेबाकी से किया प्रहार
राजनीति के दो नरम और गरम दलों में, खिंचती रहती थी तलवार
दोनों के मध्य कड़ी बनकर संतुलन की, संघर्ष मिटाया कई कई बार
मल्टीटैलेंट कहे या बहुमुखी प्रतिभा, फीके सारे उद्बोधन
एक अकेले मदन मोहन