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Raksha Bandhan Par Kavita: उत्सव, पर्वों का देश हमारा
उत्सव, पर्वों का देश हमारा, हर सप्ताह मनाते हम त्यौहार
पर जब आता है त्यौहार राखी का, भावनाओं का चढ़ता ज्वार
![विजय दिवस: 2 टुकड़े करना दुश्मन के और समर्पण करना 93 हजार](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2020/09/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%AF-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-768x448.webp)
विजय दिवस: 2 टुकड़े करना दुश्मन के और समर्पण करना 93 हजार
याद करे हम उन्नीस सौ इकहत्तर,
सुलग रहा था पाकिस्तान का पूर्वोत्तर
आंतरिक मसला था पाकिस्तान का,
पर था हमारी सीमा से सट कर
हजारो मर रहे थे पूर्वी पाकिस्तानी,
भारत पर भी होने लगा असर
![गुड़ी पड़वा ही हो नववर्ष हमारा | गुड़ी पड़वा व हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2024/04/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%B5%E0%A4%BE-%E0%A4%B5-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%82-%E0%A4%A8%E0%A4%B5-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%AD%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82--768x432.jpg.webp)
गुड़ी पड़वा ही हो नववर्ष हमारा | गुड़ी पड़वा व हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रकृति में इसी समय,
नवीनता का होता सृजन
नव कपोलें उगती,
पुराने पत्तों का होता क्षरण..
![शिक्षक पर कविता – निर्माण और विध्वंस गोद में पलते हैं शिक्षक के](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2020/08/%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-768x448.webp)
शिक्षक पर कविता – निर्माण और विध्वंस गोद में पलते हैं शिक्षक के
शिक्षकों पर निर्भर है दुनिया,
शिक्षक बढ़ाते देश का मान
भौतिकता पर नैतिकता का अंकुश,
शिक्षक ही रखते महावत समान
पादरी चलाते देश कहीं तो,
कहीं मूल्ला रखते हाथ में कमान
जैसी जिसकी शिक्षा वेसा,
देश उनका उतना बनता महान
![मनुष्य के तीन प्रकार – हिंदी कविता](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2020/10/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-2--768x448.webp)
मनुष्य के तीन प्रकार – हिंदी कविता
घटिया होते हैं वो लोग,
जो करते हैं सिर्फ लोगों की बात
खुद की प्रशंसा और दूसरों की बुराई मे,
खपाते अपने दिन और रात
![भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार – कविता](https://kavitapoemdunia.com/wp-content/uploads/2020/08/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0-768x448.webp)
भारतीयता को मिले विस्तार, कोरोना की होगी निश्चित हार – कविता
कोरोना की होगी निश्चित हार शुभ ही शुभ घटता प्रकृति में, शुभ प्रकृति का, स्थायी व्यवहार। शुभ के लिए ही जन्मते धर्म, शुभ के लिए ही होते अवतार। सनातन धर्म है शुभ सदा से, विज्ञान को हमने माना आधार। शुभ संस्कृति में रहा समाहित, जिससे शुद्ध रहे आचार विचार। शुभ, शुद्ध और संयम का संतुलन,…