Holi Par Kavita – ऐसी हो अब की होली
Holi Par Kavita-काश ऐसी हो अब की होलीकहीं न चले कोई चाकू गोलीप्रेम भरी हो सबकी बोलीनफरत मिटे, मिटे अबोलीहर […]
Holi Par Kavita-काश ऐसी हो अब की होलीकहीं न चले कोई चाकू गोलीप्रेम भरी हो सबकी बोलीनफरत मिटे, मिटे अबोलीहर […]
भारत को शायद पूर्व से
ही था अनुमान, तटस्थ रखा
सदा ही अपना स्थान,
टेरिफ घटे या बड़े अमेरिका से,
प्रयागराज, उज्जैनी, नासिक और हरिद्वार
बारह साल के अंतराल में,
कुंभ मेले लगते एक बार
पर प्रयागराज के इस महाकुंभ ने,
सर्दी हो गई बेदर्दी
ना दिखाएं जवांमर्दी
दो के पहाड़े जैसी सीधी
आज बन गई 29 का पहाड़ा
अखंड भारत का सपना,
चाणक्य ने कभी सजाया था
चंद्रगुप्त के माध्यम से,
भारत भव्य विशाल बनाया था
The snowflakes dance
in the air so bright,
Christmas Eve is such
a magical night.
फैल गयी दीपों की माला
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो,
दर काला, दीवारें काली!
भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहिए
शासन प्रशासन में अनैतिक कोई अनुबंध ना हो
स्वतंत्र तो हो गए हम 47 में,
पर स्वतंत्र का मतलब स्वच्छंद ना हो
सच्चे मित्र की है पहचान
काम आए बुरे वक्त में
बताए नहीं कभी एहसान
सो मित्रों के बराबर ऐसा