Jo beet gayi so baat gayi kavita

Jo beet gayi so baat gayi kavita – Harivansh rai bachchan

जीवन में एक सितारा था माना वह बेहद प्यारा था वह डूब गया तो डूब गया अम्बर के आनन को देखो कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले
Retirement Poem in Hindi

Retirement Poem in Hindi: नया अध्याय शुरु हो रहा है

सूरज ढल रहा है, शांत समय छा रहा है, अब विदा होने का समय आ रहा है। संगीत की धुन पर, आपकी हंसी लहरा रही है, यादें आपकी जिंदगी के साथ बहा रही है।
bhikshuk kavita

भिक्षुक – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”| bhikshuk kavita

भिक्षुक वह आता-- दो टूक कलेजे को करता, पछताता पथ पर आता। पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठी भर दाने को — भूख मिटाने को
किसानों पर दर्द भरी कविता

किसानों पर दर्द भरी कविता| मैथिलीशरण गुप्त की कविता – किसान

हेमन्त में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम हैहो जाये अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहाँ खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रक्खे जहाँ
पत्थर पर कविता

पत्थर पर कविता: मैं अमर हूँ, तुम समझ जाओगे

पत्थर हूँ मैं, कठोर हूँ मैं, अपनी मजबूती में छिपा हूँ मैं। मेरी कठिनाईयों को तुम समझ न पाओगे, हर संघर्ष में बचपन से खड़ा हूँ मैं।