बहुत दिनों के बाद – हरिओम पंवार

बहुत दिनों के बाद - हरिओम पंवारबहुत दिनों के बाद छिड़ी है वीणा की झंकार अभयबहुत दिनों के बाद समय ने गाया मेघ मल्हार अभयबहुत दिनों के बाद किया है…

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए – दुष्यन्त कुमार

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए - दुष्यन्त कुमारहो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिएहो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिएआज…

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर – हरिवंश राय | baith jata hu mitti pe aksar

बैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर - हरिवंश राय बच्चनबैठ जाता हूँ मिट्टी पे अक्सर,  क्यूंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है।मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीका, चुपचाप से बहना और अपनी…

ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे – सरस्वती वंदना

ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर चमके हिंदुस्तान रे - सरस्वती वंदनाहंस वाहिनी, वाणी दायिनी मां शारदे, कर दे हम पर एहसान रे ज्ञान, विज्ञान और कला साहित्य में, फिर…

कलम, आज उनकी जय बोल – रामधारी सिंह दिनकर | kalam aaj unki jai bol

 कलम, आज उनकी जय बोलकलम, आज उनकी जय बोल - रामधारी सिंह दिनकर | Kalam Aaj Unki Jai Bolजला अस्थियाँ बारी-बारीचिटकाई जिनमें चिंगारी,जो चढ़ गये पुण्यवेदी परलिए बिना गर्दन का मोल।कलम,…

होली है तो आज – हरिवंश राय बच्चन – होली पर प्रेरणादायक कविता

 होली है तो आज - हरिवंश राय बच्चन| होली पर प्रेरणादायक कविता यह मिट्टी की चतुराई है,रूप अलग औ’ रंग अलग,भाव, विचार, तरंग अलग हैं,ढाल अलग है ढंग अलग,आजादी है जिसको चाहो…

सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना – पाश

 सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जानासबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना - पाशश्रम की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होतीपुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं…