शिक्षक पर कविता

शिक्षक पर कविता – निर्माण और विध्वंस गोद में पलते हैं शिक्षक के

शिक्षकों पर निर्भर है दुनिया,
शिक्षक बढ़ाते देश का मान
भौतिकता पर नैतिकता का अंकुश,
शिक्षक ही रखते महावत समान
पादरी चलाते देश कहीं तो,
कहीं मूल्ला रखते हाथ में कमान
जैसी जिसकी शिक्षा वेसा,
देश उनका उतना बनता महान

पितृ पक्ष

पितृ पक्ष: मैं मानता हूँ पितृ पक्ष पवित्र है | हिंदी कविता

मुझे ना कर्मकांड याद है, 
न धार्मिक विधि-विधान याद है
पितरों की पूजन का समय क्या,
नियम क्या, यह सब मुझे नहीं याद है
हर समय उचित पितृ पूजन का, 
मेरी तो सब से यही फरियाद है
हमारी हर सफलता के पीछे, 

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