भटकती युवा पीढ़ी पर कविता | सुजाता भट्टाचार्य
भटकती युवा पीढ़ी पर कविता-
युगों-युगों से युवा शक्ति ने दी पहचान,
हम सबको दिया आगे बढ़ने का ज्ञान।
अंतरिक्ष से, जाना हैं आगे हमें,
अपनी शक्ति अजमाना है हमें।
कोई बलिदानी, कोई गुरु
कोई बना वैज्ञानिक, खिलाडी यहां।
इसी युवा सकती ने बनाई इक अलग पहचान।
जो थी राह अँधेरी, दी उसे रोशनी की ढेरी।
सबसे पहले हम नमन करेंगे
अपने जग के वीरो को,
रानी लक्ष्मीबाई, भगतसिंह ने युवा सकती से ही,
धूल चटाई अंग्रेजो को।
स्वामी विवेकानंद, सरोजनी नायडू
ने किया अधिकार हृदय पर।
अपने शब्द-कौशल से हुए महान, गायक -संगीतकार,
लता जी, ए. अर. रहमान,
जिन्होंने विश्व मैं बढाया देश का नाम।
नहीं थमी ये युवा शक्ति यहीं और आगे चलो हम चलते है
सचिन तेंदुलकर, धनराज पिलाई
सरीखे हुए खिलाडी महान।
युगों-युगों से युवा सकती ने
मनवाई अपनी जीत है।
इस शक्ति का कर सदुपयोग
आगे बढ़ो जगत की यही रीत है।
ये दिखलाया हमने आपकी शक्ति का मान।
आओ, अब देखे आज के
युवा कैसे कर रहे है इस शक्ति का अपमान,
लूटमार, हत्या, चोरी से
इस शक्ति का तुम न करना अपमान,
मानव-सम्मान व् दया-धर्म से
सदा बढाओ युवा शक्ति का मान।
तभी होगा हमें युवा शक्ति पर अभिमान।
ये भी देखें-