हम कौन थे क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी | मैथिलीशरण गुप्त
म कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां
म कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां
देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था
देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था
देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं
हो गई उस रूपलीला पर अटल आसक्त मैं
मैं अकेला;
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला।
न तुम सो रही हो, न मैं सो रहा हूँ,
मगर यामिनी बीच में ढल रही है।
दिखाई पड़े पूर्व में जो सितारे,
वही आ गए ठीक ऊपर हमारे,
क्षितिज पश्चिमी है बुलाता उन्हें अब,
न रोके रुकेंगे हमारे-तुम्हारे
वसुधा पर ओस बने बिखरे
हिमकन आँसू जो क्षोभ भरे
उषा बटोरती अरुण गात !
अब जागो जीवन के प्रभात !
गीले बादल, पीले रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता ‘हरहर’–इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफान समझ पाओगे?
राम अयोध्या वापस आए
दुनिया फिर दिवाली मनाएं
गांव गली हर घर मोहल्ला
राम हनुमान के ध्वज फहराये
मंदिर मंदिर उल्लास भया
हिंदू संस्कृति, हिंदू जागृति,
हिंदु उत्थान और हिंदुस्तान
आरएसएस पर्याय हिंदुत्व का,
भारतीयता को दिलाता पहचान
संख्या के आधार पर देखें तो,
सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान
रमा है सबमें राम,
वही सलोना श्याम।
जितने अधिक रहें अच्छा है
अपने छोटे छन्द,
तब राम मिले थे काकभुशुंडि जी की वाणी मे।
अब भी राम मिलेगे राम का नाम सुनने से।।
तब राम मिले थे तुलसीदास जी को चौपाईयो मे…