Category: आईना

आईना पर कविता

आईना पर कविता: आईना, जो मुझको मेरी रूप-रेखा बताता है

आईना, जो मुझको मेरी रूप-रेखा बताता है, सच्चाई की रोशनी लेकर मेरा चेहरा छिपाता है। यह दर्पण, मेरी अंतर्दृष्टि को प्रकट करता है, मेरे भावों की प्रतिबिंबिति कर, सच्चाई बतलाता है।